udaipur. अत्यधिक प्रकाश और तेज ध्वनि का मानव तथा वन्य जीवों पर घातक प्रभाव पड़ता है। विभिन्न आयोजनों एवं उत्सवों में बढतों प्रकाश की चकाचौंध और म्यूजिक प्रकृति के दोनों जीवों के लिये घातक है। ये विचार वन्यजीव एवं पक्षी विशेषज्ञ डॉ. सतीश शर्मा ने डॉ. मोहनसिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा आयोजित संवाद में व्यक्त किये।
डॉ. शर्मा ने कहा कि टॉवर, मोबाईल तथा पटाखों की तरंगों से मानव के साथ ही पक्षियों के अण्डों के लिये सर्वाधिक नुकसान देय है। पटाखों से निकलने वाली गैस मनुष्यों तथा वन्य जीवों के श्वसन तंत्र पर घातक प्रभाव डालती है। वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रो. एस. बी. लाल ने बताया कि अमेरिका के शिकागों शहर के निकट स्थित हवाई अड्डक कि आसपास की गयी सर्वे जिसे ’’इफेक्ट ऑफ नोईस पोल्युशन आन पिपल्स हेल्थ’’ जो शिकागो सिंड्रोम नाम से प्रसिद्व है, में बतलाया गया है कि अत्यधिक शोर/ध्वनि से बहरापन, नपुंसकता तथा गर्भपात भी हो सकता है। प्रो. लाल ने कहा कि यह चिन्तनीय है कि विद्यालयों में पर्यावरणीय समस्याओं को तो पढा़या जाता है किन्तु समाधान पर कोई चर्चा नहीं होती। मेलडी़माता मन्दिर के महन्त स्वामी विरमदेव ने कहा कि धर्म की आड़ में हो रही है पर्यावरणीय क्षति को रोकनें की जरूरत है। उन्होनें झीलों में मूर्ति/पूजा सामग्री के विसर्जन को तुरन्त रोकनें की आवश्यकता पर जोर दिया।
झील हितैषी मंच के हाजी सरदार मोहम्मद एवं प्रकाश तिवारी ने झीलों में कचरा डालने वालों पर कठोर दण्डात्मक कार्यवाही की आवश्यकता पर जोर दिया। चान्दपोल नागरिक समिति के तेजशंकर पालीवाल तथा ज्वाला जन विकास संस्थान के भंवरसिंह राजावत तथा बसंतीलाल कूकडा़ ने झीलों में तेज रफ्तार की नोकाओं को प्रवासी पक्षियों के आश्रय में खलल बतलाया। पूर्व मत्स्य विभाग के निदेशक इस्माईल अली दुर्गा ने बताया कि उदयपुर की झीलों में काफी समय से मत्स्य प्रजजन विभिन्न कारणों से नहीं हो रहा है जो चिन्ताजनक है। बजंरग सेना के कमलेन्द्र सिंह पंवार ने शहर में बढ़ते वाहनों एवं तीन पहिया वाहनों में केरोसीन के उपयोग से वायु प्रदूषण पर चिन्ता व्यक्त की। संयोजन ट्रस्ट सचिव नन्दकिशोर शर्मा ने किया। संवाद में नूर मोहम्मद, सुशील कुमार, निरेन्द्र देलवाडिया, नितेश सिंह कच्छावा, धनराज वागेला, ओ.पी.माथुर, सोहनलाल तम्बोली आदि ने भी विचार व्यक्त किये।