Udaipur. केरल के महात्मा गांधी विश्वविद्यालय के प्रो. बाबू जोसेफ ने कहा कि समकालीन कविता वैश्वीकरण का प्रतिरोध करती है। कविता जन मन की वाणी है और जीवट बनाए रखने का साधन है।
बाजारवाद के कारण हमारे सामाजिक और आर्थिक जीवन में जो बदलाव आए हैं उन्हें समकालीन कविता में रेखांकित किया गया है। प्रो. बाबू जोसेफ आज मोहनलाल सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में समकालीन कविता पर व्याख्यान दे रहे थे। केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय की योजना के तहत आयोजित व्याख्यान में उन्होंने बताया कि केरल में हिन्दी पढऩेवाले विद्यार्थी राजस्थान के अनेक साहित्यकारों की रचनाएं पढ़ते हैं। उन्होंने आधुनिक हिन्दी साहित्य के विकास में राजस्थान के रचनाकारों स्वयंप्रकाश, सुमन मेहरोत्रा, खुर्शीद आलम, प्रभात और शिवराम के योगदान को अविस्मरणीय बताया। उन्होंने कहा कि साहित्य के संवेदनशील स्वभाव के कारण ही सुदूर दक्षिण में भी राजस्थान के रचनाकार लोकप्रिय हैं। अध्यक्षता करते हुए महाविद्यालय के अधिष्ठाता प्रो. शरद श्रीवास्तव ने इस व्याख्यान को सांस्कृतिक समन्वय की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण बताया। विभाग के अध्यक्ष प्रो. माधव हाड़ा ने कहा कि मलयालम मातृभाषा होने के बाद भी प्रो. बाबू जोसेफ ने हिन्दी भाषा और अनूदित साहित्य के विकास में जो योगदान किया है वह उनके अथक परिश्रम का परिणाम है। कार्यक्रम में संकाय सदस्य, शोधार्थी और विद्यार्थी उपस्थित थे। संचालन डॉ. नवीन नंदवाना ने किया।