सैण्ड आर्ट व दक्षिण अफ्रीकी दल का कृष्ण लीला नया आकर्षण
600 कलाकार व 500 शिल्पकार भाग लेंगे
udaipur. मेवाड़ की कला धरा पर पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से आयोजित दस दिवसीय ‘शिल्पग्राम उत्सव’ में लोक संस्कृति की छटा 21 से 30 दिसम्बर 2012 तक बिखरेगी जहां शिल्पकारों व लोक कलाकारों के कर्म क्षेत्र कला परिसर ‘शिल्पग्राम’ में देश के विभिन्न राज्यों के 600 लोक कलाकार तथा 500 शिल्पकार अपनी लोक कला व शिल्प परंपरा का हुनर दिखाएंगे।
केन्द्र निदेशक शैलेन्द्र दशोरा ने शिल्पग्राम के कला विहार में आयोजित प्रेस वार्ता में बताया कि शिल्पग्राम उत्सव 21 दिसम्बर को प्रारम्भ होगा। हाट बाजार में विभिन्न राज्यों से आये शिल्पकार अपने उत्पादों व कलात्मक नमूनों का प्रदर्शन व विक्रय करेंगे। मेले के दौरान ही शिल्पग्राम परिसर के विभिन्न थड़ों आंगन, गुर्जरी, चौपाल, हाट बाजार में लोक कलाकार, नट करतबबाज, जादूगर, बहुरूपिये आदि अपनी कला का निरंतर प्रदर्शन करेंगे।
शिल्पग्राम के मुख्य रंगमंच ‘‘कलांगन’’ पर शाम 6.00 बजे से सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होगा। इसमें केन्द्र के सदस्य राज्य राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र तथा गोवा के अलावा असम, पंजाब, उत्तरांचल, मध्यप्रदेश, सिक्किम, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, केरल आदि के लोक कलाकार अपनी आकर्षक प्रस्तुतियाँ देंगे। उत्सव में इस वर्ष पहली बार भारतीय सांस्कृतिक सम्बन्ध परिषद नई दिल्ली के सहयोग से दक्षिण अफ्रीका से कलाकार दल आयेगा जो 26 दिसम्बर को वेरूश्का पाथेर द्वारा निर्देशित नाटिका‘‘कृष्ण लीला’’ का प्रदर्शन करेगा। इस प्रस्तुति में भारतीय शास्त्रीय नृत्य भरतनाट्यम शैली में श्रीकृष्ण की लीलाओं का चित्रण किया गया है।
उत्सव के लिये शिल्पग्राम की साज सज्जा का कार्य प्रगति पर है। शिल्पग्राम परिसर की सज्जा में आगंतुकों को इस बार केन्द्र के सदस्य राज्यों की स्थापत्य कला से परिचय करवाया जायेगा जिसमें राजस्थान से हवेली का स्थापत्य, गुजरात से आडेक शिल्प, महाराष्ट्र से स्तम्भ तथा गोवा से पुर्तगाली शिल्प देखने तथा दमण के ऐतिहासिक किले को प्रतीकात्मक रूप में दर्शाया जायेगा।
क्या होगा नया?
उत्सव में ही इस वर्ष पहली बार ‘‘सैण्ड आर्ट’’ को शामिल किया गया है। उड़ीसा के सुबल महाराणा इस कला में सिद्धहस्त हैं। सुबल महाराणा ने उड़ीसा, पश्चिम बंगाल के समुद्री बीच पर रेत की सहायता से अपने शिल्पाकृतियाँ सृजित कर उनका प्रदर्शन किया है। दस दिवसीय शिल्पग्राम उत्सव में महाराष्ट्र की प्रसिद्ध शब्द भ्रम (वैन्ट्रोलोकिस्ट) श्रीकांत साठे की वाचाल पुतली आकर्षण का केन्द्र होगी। उत्तराखण्ड की सुप्रसिद्ध लोक गायिका श्रीमती बसंती देवी बिष्ट पहली बार उत्सव में अपना गायन प्रस्तुत करेंगी।