सुविवि शैक्षणेत्तर कर्मचारी संघ की विचार गोष्ठी
Udaipur. पूर्व सांसद हनान मौला ने कहा कि शिक्षा पर आज बाजारीकरण हावी है। यदि इसके खिलाफ हम आवाज नहीं उठाएंगे तो अफसोस करने लायक भी नहीं रहेंगे। आज की शिक्षा इंसानियत से कोसों दूर केवल बाजार केन्द्रित हो कर रह गई है। वे सुखाडिया विश्वविद्यालय और शैक्षणेत्तर कर्मचारी संघ के तत्वावधान में शनिवार को वर्तमान परिप्रेक्ष्य में विश्वविद्यालय की स्वायत्तता और भारत में चुनावी प्रक्रिया में सुधार विषयक विचार गोष्ठी को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के काल में शिक्षा में जो सुधार हुए उसे आजादी के बाद कोठारी कमिशन ने जीडीपी में 10 फीसदी शिक्षा पर खर्च करने की अनुशंसा की थी लेकिन आजादी के इतने सालों बाद भी यह अमल में नही लाया जा सका। इसी कारण शिक्षा के क्षेत्र में 177 देशों की गिनती में हम 132 वें स्थान पर है। मौला ने कहा कि सरकारों का ध्यान पीपीपी पर ज्यादा है। जसपाल कमेटी ने स्वायत्तता पर जोर दिया लेकिन सेम पित्रोदा ने हायर एजुकेशन फोर प्रोफिट की नीति अपनाई। निजी विश्वविद्यालयों पर व्यंग्य करते हुए मोला ने कहा कि वहां इतना शोषण है कि पढाने वालों को पांच-पांच हजार रुपए मिलते है क्योंकि उन पर किसी का नियन्त्रोण नहीं है। अम्बानी बिडला रिपोर्ट भी शिक्षा को मुनाफे का धन्धाक मानती है।
विवि सभागार में आयोजित इस संगोष्ठी के मुख्य अतिथि भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्याक्ष तथा पूर्व राज्यसभा सदस्य डा महेश शर्मा थे। उन्होंने कहा कि भारत में कानून जनता के नाम पर बनते है। जनता अपने प्रतिनिधि के माध्यम से अपनी इच्छा का कानून बनवाती है। विवि की स्वायत्तता पर उन्होने कहा कि इस विषय पर हमारे यहां ज्यादा बहस नहीं है क्योंकि यह अन्तत: किसी न किसी शिकंजे में चली जाती है। अध्यंक्षता कुलपति प्रो. आई. वी. त्रिवेदी ने की। शुरु में शैक्षणेत्तर कर्मचारी संघ के अध्याक्ष भरत व्यास ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए विषयों पर प्रकाश डाला। संचालन हंसा हिंगड़ ने किया।