40 सालों में उदयपुर में आए मात्र तीन कारोबारी
Udaipur. आश्चर्य लेकिन सत्य है कि उदयपुर में आयुर्वेदिक दवाओं का निर्माण गत 40 वर्षों से हो रहा है लेकिन अब तक इस क्षेत्र में मात्र तीन कारोबारी ही जुडे़ हैं। कारण कि आयुर्वेद दवाओं पर लोकल का लेबल लगा होने से जनता उसका उपयोग नहीं करती जबकि बाह्य शहरों में यही उत्पाद धूम मचा रहे हैं।
करीब 40 वर्ष से आयुर्वेद दवाओं व उत्पादों का कारोबार कर रहे साधना आयुर्वेद प्रा. लि. के सौभाग्यसिंह माण्डावत ने बताया कि बाजार में स्थानीय आयुर्वेद कम्पनियों के उत्पादों व दवाओं के साथ ब्राण्डेड कम्पनियों डाबर, हमदर्द, वैद्यनाथ, कालेरा सहित अनेक कम्पनियों के उत्पाद बिक रहे हैं। एलोपैथी के मुकाबले धीमी लेकिन रोग को समूल नष्टा करने का दावा करने वाली आयुर्वेद पद्धति के प्रति लोगों में अब भी उदासीनता है इसलिए इसकी सालाना ग्रोथ 20 से 25 प्रतिशत रहने के बावजूद एलोपैथी के मुकाबले इसका सालाना टर्नओवर लगभग मात्र 5 करोड़ ही है।
साधना आयुर्वेद प्रा.लि. लगभग हर बीमारी के लिए 369 प्रकार की औषधि का उत्पादन करती है। इसमें रस्म भस्म, चूर्ण, घृत, तेल, कब्ज दूर करने के लिए सुधा चूर्ण, च्वयनप्राश, मूसलीपाक, ताकत के लिए स्वर्णमुक्ता, डायबिटीज के लिए बसन्त कुशवाकर, बुखार को दूर करने के लिए बसंत बालती, जोड़ों के दर्द के लिए रोहिणी टेबलेट व रोहिणी ऑयल सम्मिलित हैं। उदयपुर में निर्मित होने वाले आयुर्वेद औषधि व उत्पादों के लिए कच्चा माल दिल्ली, जयपुर व स्थानीय स्तर पर खरीदा जाता है और उसे तैयार कर राजस्थान के विभिन्न शहरों गुजरात, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार सहित अनेक राज्यों में विपणन के लिए भेजा जाता है। माण्डावत बताते है कि उदयपुर में स्कोप व सेल काफी कम है इसलिए नये कारोबारी इस कारोबार से जुड़ नहीं पा रहे है। सरकार ने आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिए जगह-जगह अस्पताल खोले हैं लेकिन आशानुकूल प्रगति नहीं हुई है। लगभग 300 लोगों को रोजगार देने वाला यह कारोबार स्थानीय स्तर पर अपनी गुणवत्ता पर ध्यान देता है, चाहे वो महंगा ही क्यों न हो।
एलोपैथी चिकित्सक के एक स्थान पर अस्पताल खोलने पर आस-पास में तीन-चार मेडिकल स्टोर खुल जाते है लेकिन आयुर्वेद का कहीं अस्पताल खुलने पर मेडीकल स्टोर के खोलने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। एलोपैथी में मरीज के ठीक नहीं होने पर उसके परिजन आयुर्वेद चिकित्सक के पास लेकर आता है और अंतत: वह उससे ठीक होता है। एलोपैथी में जिस बीमारी का इलाज नहीं है, उसका इलाज आयुर्वेद पद्धति के पास है। उदयपुर में दो अन्य आयुर्वेद कम्पनियां औषध प्रतिष्ठान व मेवाड़ आयुर्वेदिक कार्यरत है।