देशभर से आए भक्तों ने किया गुरुपूजन
Udaipur. ‘क्या करेगा वो भगवान को, क्या करेगा वो भगवान को, जन्म लेकर गोद में इंसान की प्यार कर पाया न जो इंसान को।’ यह विचार प्रतिष्ठा महोत्सव की तपागच्छ उद्गम स्थली आयड़ तीर्थ पर भगवान महावीर स्वामी जिनालय एवं जिनबिम्बों, गुरु बिम्बों, शासन रक्षक देव-देवियों की भव्य प्रतिष्ठा के अष्टाह्निका महोत्सव के छठें दिन शांतिदूत आचार्य नित्यानंद सूरिश्वर ने व्यक्त किए।
महासभा के अध्यक्ष तेजसिंह बोल्या ने बताया कि मंगलवार को मकर संक्रान्ति महोत्सव धूमधाम से मनाया गया। प्रतिमाह सौर मास की दृष्टि से महीने का शुभारम्भ सक्रान्ति के दिन से होता है इसीलए देश भर से गुरु भक्त जहां आचार्यश्री विराजते हैं वहां मनाने के लिए आते हैं। आचार्य नित्यानंद सूरिश्वर ने कहा कि बने सहारा बेसहारों के लिए बने किनारा भ्रमित नावों के लिए अपने लिए जीये तो क्या जिये जी सको तो जियो हजारों के लिए।
उन्होंने कहा कि जल से लबालब भरे लबालब तालाब में यदि कमल न खिले तो उनकी कोई शोभा नहीं होती। मजबूत चार दिवारी वाले कुएं में जल न भरा हो तो उस कुएं की कीमत नहीं होती। हृष्ट-पुष्ट पंचलक्ष्मी गाय यदि दूध नहीं देती हो तो उसकी कोई कीमत नहीं। उसी तरह जिस मानव के हृदय रूपी सरोवर में परमात्मा भक्ति स्वरूप कमल न खिले तो उस मानव की कीमत नहीं। उन्होंने कहा कि मानवता की सेवा से ऊंचा और कोई भी काम नहीं जो जहर घोल दे, जीवन में वो शैतान है वो इंसान नहीं। गिरने वालों को जो थामे वो हाथ हकीकत में पूजा है। यही हमारी रामायण और यही हमारी गीता है। आचार्यश्री ने ज्ञानी भगवंतों, परम तारक परमात्मओं के दर्शन के महत्व का वर्णन करते हुए कहा कि देवादिदेव के दर्शन करने से दुर्गति का अंत हो जाता है और सौभाग्य का सूर्योदय होता है। परमात्मा की नित्य पूजा-अर्चना करने से न केवल भौतिक बल्कि बाह्य एवं आत्मा की सम्पदा में भी वृद्धि होती है। इसके बाद देशभर के कोने-कोने से आए श्रावक-श्राविकाओं को महामंगलिक का श्रवण कराया।
मंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि समारोह का शुभारम्भ आचार्यश्री के मंगलिक से हुआ उसके बाद विधिकारक कल्पेश भाई ने गुरु भक्ति कहते हुए कहा कि आचार्य नित्यानंद सूरिश्वर हमारे ताज है, युगों युगों तक शासन चले यही हमारी आवाज है। संगीतकार मदन राठौड़ ने अमृत जैसी वाणी जिसकी नित्यानंद सूरि उसका नाम….. के गीत से गुरु भक्ति की। अम्बाला, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, गुजरात, महाराष्ट्र, एम.पी., मेवाड़, मारवाड़ तथा देश के अन्य कोनों से आए गुरु भक्तों ने आचार्यश्री की गुरु भक्ति की। अम्बाला श्रीसंघ एवं उदयपुर श्रीसंघ ने आचार्यश्री से पूरजोर शब्दों में 2013 के चातुर्मास की विनती की। आचार्यश्री ने कहा कि अभी समय है मैं सब कार्य देखने के बाद सहमति दूंगा। समारोह में दिवान सिंह बापना, किरणमल सावनसुखा, बी.एच. बापना, बलवंत सिंह कोठारी, प्रदीप बिरला-सुधा बिरला, दिलीप सुराणा, राजकुमार फत्तावत का बहुमान किया गया। बिरला दम्पति ने आचार्यश्री के कहने पर एक एम्बुलेन्स की चाबी समाज को सौंपी। सक्रान्ति भजन का सामूहिक रूप से गाकर वातावरण को गूंजायमान कर दिया।
जमकर हुआ भांगड़ा : देश के कोने-कोने से आए सैंकड़ों श्रावक-श्राविकाओं ने सक्रान्ति महोत्सव पर ‘पंजाब केसरी वल्लभ सूरि जी गुरु जी ओ हमारे…..’ के गीत पर जमकर भांगड़ा किया। इसके बाद एक के बाद एक आचार्यश्री के चरणों में गीतिकाएं प्रस्तुत करते हुए झूम-झूम कर श्रावक-श्राविकाएं थिरके। पूरा माहौल गुरु भक्तिमय हो गया।
दीक्षार्थी बहन ने दिया निमंत्रण : दीक्षार्थी बहन निशा मेहता ने अपने संक्षिप्त उद्बोधन में कहा कि पूरा संसार दुखों से भरा पड़ा है इसलिए मैंने चरित्र पथ की ओर अग्रसर हुई हूँ। आज उदयपुर मूर्तिपूजक समाज ने मेरा जो बहुमान किया है यह मेरा नहीं मेरे त्याग मार्ग का बहुमान है। इस अवसर पर श्री जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक श्रीसंघ के पदाधिकारियों ने दीक्षार्थी बहन और उनके माता-पिता का शॉल, पगड़ी, श्रीफल और माला से बहुमान किया।
दोपहर को हुए 18 अभिषेक : दोपहर को विधिकारक कल्पेश भाई ने 18 अभिषेक कराए। आयड़ तीर्थ पर सभी मंदिरों में भगवान के सभी श्रावक-श्राविकाओं ने पूजा के वस्त्र में 18 अभिषेक किए। अपरान्ह बाद दिवान सिंह बापना परिवार की ओर से आदिनाथ, महावीर स्वामी, पाश्र्वनाथ, सुपाश्र्वनाथ, घंटाकर्ण महावीर, महालक्ष्मी जी के मंदिरों पर स्वर्ण कलश चढ़ाए गए। वहीं रात्रि में श्रेणिक मनावत परिवार की ओर से घंटाकर्ण महावीर एवं महालक्ष्मी के अलग-अलग हवन कर पूर्णाहूति दी गई। रात्रि में संगीतकार की ओर से भव्य भक्ति संध्या हुई।
आज प्रतिष्ठा : प्रतिष्ठा संयोजक किरणमल सावनसुखा ने बताया कि प्रतिष्ठा महोत्सव के सातवें दिन हेमलता बेन श्रेणिक मनावत परिवार की ओर मूलनायक श्री महावीर स्वामी, जिनबिम्ब आदि श्री घंटाकर्ण महावीर व श्री लक्ष्मी देवी की मंगल प्रतिष्ठा के साथ ही शान्ति स्नात्र पूजा, मेहंदी वितरक एवं कंकू के थापे लगाए जाएंगे। ये सभी कार्य शुभ मुहूर्त में प्रात: साढ़े आठ बजे होंगे। साथ ही जिनबिम्ब, गुरुबिम्ब एवं यक्षेन्द्र श्री मणीभद्र, श्री नाकोड़ा भैरव, श्री अम्बिका देवी, श्री पद्मावती देवी की मंगल प्रतिष्ठा की जाएगी।
पंचाह्निका महोत्सव कल से : श्री पद्मनाभ स्वामी तीर्थ की 250वीं वार्षिक ध्वजा एवं शिला स्थापना पर पंचाह्निका महोत्सव शान्तिदूत गच्छाधिपति आचार्य नित्यानंद सूरिश्वर जी की निश्रा में स्वरूपसागर रोड स्थित चौगान मंदिर में 14 से 18 फरवरी तक धूमधाम से मनाया जाएगा। सुबह साढ़े आठ बजे आचार्य नित्यानंद सूरिश्वर पंचवटी स्थित अध्यक्ष के आवास से शिक्षा भवन चौराहे पर स्थित चौगान तीर्थ पर प्रवेश करेंगे, जहां पर आचार्यश्री का प्रवचन होगा। साढ़े दस बजे विधिकारक कल्पेश भाई की निश्रा में 18 अभिषेक और दोपहर ढाई बजे पंच कल्याणक पूजा होगी। 15 फरवरी को प्रात: सात बजे सभी मंडल द्वारा मंदिर में मंगल गीत गाए जाएंगे। 9 बजे आचार्यश्री धर्मसभा को सम्बोधित करेंगे। धर्मसभा में धर्मशाला के शिलान्यास के चढ़ावों का लाभ लेने वाले भामाशाहों का बहुमान ट्रस्ट की ओर से किया जाएगा। साढ़े ग्यारह बजे सत्तर भेदी पूजा और मंदिर के शिखर पर विजय मुहूर्त में ध्वजा चढ़ाई जाएगी। दोपहर को सकल मूर्तिपूजक समाज का भव्य स्वामी वात्सल्य आयोजित किया जाएगा। इसी दिन सायंकाल 250 दीपक लेकर श्रावक-श्राविकाएं एक साथ सामूहिक रूप से पद्मनाभ प्रभु की महाआरती करेंगे। 16 से 18 फरवरी को प्रात: 9 बजे से अरहत महापूजन का प्रथम, द्वितीय व तृतीय भाग होगा। तीसरे दिन हवन में आहूतियों के साथ पूजा सम्पन्न होगी और 18 फरवरी दोपहर को 12.45 के विजय मुहूर्त में शिलास्थापना की जाएगी। उसके बाद आचार्यश्री केसरिया जी तीर्थ की ओर प्रस्थान कर जाएंगे। इस भव्य समारोह में साध्वी श्री रत्नशीला, रत्नदर्शीता, कल्पदर्शीता एवं सिद्धिदर्शिता आदि भी शिरकत करेंगे।
Read this book”MRITYUNJAY MAHAYOGI AACHARYA BHIKSHU”
Link: http://mrityunjaymahayogibyvijaynahar.blogspot.com/
I’m not that much of a online reader to bbe honest but your sites really
nice, keep it up!I’ll go ahead and bookmark your site to come back down the road.
Cheers