स्वामीजी के नारों से गूंजा माहौल
50 से अधिक स्कूलों के छात्रों ने भाग लिया
Udaipur. स्वामी विवेकानंद के 150 वें जन्म वर्ष (सार्धशती) समारोहों की श्रृंखला में रामकृष्ण मिशन बेलूर मठ कलकत्ता व विवेकानन्द केन्द्र कन्या कुमारी के संयुक्त तत्वावधान में देश भर में स्वामी विवेकानंद की आयोजित रथयात्रा आज डूंगरपुर रवाना हो गई।
रथयात्रा सोमवार को यहां पहुंची थी। दूसरे दिन आज प्रात: 9 बजे रथयात्रा आलोक सीनियर सेकण्डरी स्कूल सेक्टर 11 से शुरू होकर जवाहर जैन विद्यालय, आदिनाथ जैन विद्यालय, महावीर विद्या मन्दिर, शिक्षण प्रशिक्षण महाविद्यालय होते हुए राजकीय सीनियर सेकेण्डरी स्कूल, सवीना,सेक्टर 6, जी एस एस पब्लिक स्कूल, बालाजी,कल्पतरू एंव सनराइज नर्सिंग कॉलेज, डिवाइन पब्लिक स्कूल, शिशु भारती, ज्ञान भारती, गुरू नानक कन्या महाविद्यालय, निवेदिता माध्यमिक विद्यालय, विद्या निकेतन सीनियर सैण्डरी स्कूल सेक्टर 3, भूपाल नोबेल संस्थान, भूगर्भ महाविद्यालय, कॉमर्स कॉलेज, एम बी कॉलेज, विज्ञान महाविद्यालय, दुर्गा नर्सरी रोड, अलख नयन मन्दिर, एवन स्कूल, सीटीएई., मोहनलाल सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय, कला एंव विधि महाविद्यालय, आईआईएम, महाराणा प्रताप कृषि विश्वविद्यालय, होम साईन्स कॉलेज, डेयरी महाविद्यालय, प्रबन्धन महाविद्यालय, दी स्टेन वर्ड, स्कूल, श्रीराम शिक्षण प्रशिक्षण महाविद्यालय, श्रीराम स्कूल, एश्वर्या संस्थान, सरस्वती विद्यालय, आयड़, नवदीप एकेडमी, विवेकानन्द स्मारक आयड़, विद्यापीठ संस्थान होते हुए दोपहर 4 बजे पेसिफिक यूनिवर्सिटी केम्पस में सम्पन्न हुई।
रथयात्रा के दौरान स्वामीजी के जयघोष से लगभग पूरा उदयपुर गूंज उठा। मार्ग में अनेक शिक्षण संस्थाओं के प्राचार्यों व गणमान्य नागरिकों ने उत्साह के साथ रथयात्रा का फूल मालाओं के साथ स्वागत किया। अलख नयन मंदिर संस्थान पर डॅा. एल. एस. झाला, डॅा. लक्ष्मी झाला द्वारा तथा सुखाडिय़ा विवि में वाइस चंासलर वी.एस.त्रिवेदी द्वारा रथयात्रा का स्वागत किया गया। पेसिफिक विवि में पाहेर सचिव राहुल अग्रवाल व अन्य ने वहां रथयात्रा का स्वागत किया गया। रामकृष्ण सेवा समिति के अध्यक्ष डॉ. चंचल जैन, डॉ. विनया पेण्डसे, स्वामी विवेकानन्द सेवा न्यास की अध्यक्ष मंजूला बोर्दिया, सचिव डॉ. बी. एल. बसीर, कोषाध्यक्ष कैलाश बोर्दिया, डॉ. लक्ष्मी झाला, विवेकानन्द केन्द्र के डॉ. पुखराज सुखलेचा, केन्द्र रमेश कुमार प्रजापत, कपिल चित्तौडा एवं सहयोगी के रूप में दीपक पण्डया, तमाल तरूदत्ता, बद्रीप्रसाद पालवील, पवन पालीवाल, बाबूलाल, दिनेश व्यास आदि का सहयोग रहा।