रोटरी क्लब उदयपुर द्वारा मोहनजोदड़ो के इतिहास पर आधारित नाटक मंचित
Udaipur. करीब 5000 वर्ष से अधिक पुरानी सिन्धु घाटी सभ्यता के इतिहास का अधिक लेखन कहीं देखने को नहीं मिलता लेकिन इसके इतिहास की सर्वप्रथम जानकारी 1920 में सिन्ध प्रान्त में रेलवे लाईन की खुदाई के समय मिले अवशेषों से मिलती है।
खुदाई के समय मिली ईंटों और दो मानव कृतियों को ध्यान में रखते हुए मोहन जोदड़ो नाटक के लेखक आकाश दैत्य लामा ने मोहन जोदड़ो से संबधित जानकारी जुटाकर उसमें ऋग्वेद, दक्षिण एंव वामपंथी विद्धानों के मतों का समावेश करते हए अपनी कल्पनाओं को इसमें जोड़ा।
लेखक नाटक के माध्यम से बताता है कि जाति, धर्म,सम्प्रदाय के बीच लड़ाईयों का सिलसिला आज का नही वरन् उस समय से जारी है जब आर्य, अनार्य, नाग, चिरात (मंगोल), रक्ष जैसी जातियों के बीच भी लड़ाई होती थी। नाटक में लेखक ने अवशेषों में मिली एक नारी व एक पुरूष की कृति को लेखक ने पिता-पुत्री का संबंध बातते हुए सुगंधा व राजपुरोहित (कुराव) नाम दिया। नाटक में एक प्रेम कहानी की शुरूआत होती है। आर्य व अनार्य के बीच शत्रुता की पृष्ठ भूमि पर लेखक ने अनार्य जाति की सुगंधा व आर्य दल के एक नेता इन्द्र के बीच प्रेम की कहानी को आगे बढ़ाया। इधर मोहनजोदड़ो के सेनापति अक्षत सुगंधा से प्रेम करता है और सुगंधा इन्द्र से। इस त्रिकोण प्रेम कहानी में इन्द्र व सुगंधा को भगाने में अक्षत मदद करता है। दोनों से वरूण नामक एक पुत्र का जन्म होता है। तब तक इन्द्र की मृत्यु हो चुकी होती है। इन्द्र की मृत्यु के पश्वात वरूण को आर्य दल का नेता बनाये जाने की चर्चा जोर पकड़ती है लेकिन इसके साथ हीउसका विरोध भी शुरू हो जाता है क्योंकि वरूण आर्य जाति से और उसकी मां अनार्य जाति से है। इस बीच वरूण अपने आप के आर्यसिद्ध करने के लिए मोहन जोदड़ो पर आक्रमण कर देता है। तब युद्ध में अपनी मृत्यु से पूर्व अक्षत वरूण को बताता है कि जातियों की उपज हम स्वंय ने की है। इसलिए जातियों के बीच लड़ाई में कुछ नहीं बचा है। तब वरूण को अहसास होता है कि उसने गलत कार्य किया और वहीं से शुरू होता है भारतीय इतिहास का नया अध्याय।
लेखक आकाश दैत्य लामा ने कहानी का इस प्रकार से लेखन किया कि हर पात्र अपने दायरे मं बंधा रहता है वहीं निर्देशक कुलविंदर बक्षीश ने लेखक की कल्पना को अपने निर्देशन में इस तरह से संजोया कि दर्शक अपनी जगह से हिल भी नहीं पाये। युद्ध के दृश्य का पाश्र्व में संगीत के माध्यम से सुन्दर संयोजन किया गया।
इन्होंने निभाये किरदार : कुराव-अशोक बांठिया, सुगंधा-मिताली नाग, इन्द्र-आकाश दैत्य लामा, अक्षत-कुलविंदर बक्षीश।