सप्तरंगी महामस्तकाभिषेक कार्यक्रम में उमड़ा ऋद्धालुओं का ज्वार
Udaipur. आचार्य सुकुमालनंदी के सान्निध्य में शान्तिनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर व सकल दिगम्बर जैन समाज के तत्वावधान में अशोक नगर स्थित शान्तिनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर में जैन समाज के इतिहास में पहली बार सप्तरंगी अभिषेक स्वर्ण-रजत कलशों द्वारा मान-स्तम्भ स्थित जिनबिंबो का महामस्तकाभिषेक कार्यक्रम आयोजित किया गया।
कार्यक्रम में 325 स्वर्ण, रजत व ताम्र कलशों से 6 प्रतिमाओं पर ऋद्धालुओं ने सप्तरंगी जल से अभिषेक किया। अभिषेक के पश्चात अभिषेक करने वाले ऋद्धालु कलशों को अपने घर ले गए। आचार्य सुकुमालनन्दी महाराज के सानिध्य में साढ़े तीन घंटे चले कार्यक्रम में ऋद्धालुओं ने बड़े उत्साह के साथ भाग लेकर सभी 8 जिनबिंब प्रतिमाओं पर अभिषेक की बोलियां लगाई जिसमें स्वर्ण कलश से अभिषेक की प्रथम बोली कन्हैयालाल मेहता एंव परिवार ने लगाई। इसके अलावा सभी प्रतिमाओं पर सप्तरंगी अभिषेक करने का लाभ रोशनलाल चित्तौड़ा, प्रभुलाल मानावत, अजय जैन, शीतल जावरिया, तरूण चित्तौड़ा, मनोहर पटवा, मुकेश छगनलाल चित्तौड़ा व नाथुलाल चित्तौड़ा ने लिया। प्रात:कालीन प्रवचन में आचार्य सुकुमालनंदी ने कहा कि जिस प्रकार समुद्र के पानी को नापा नहीं जा सकता, थाली में भरी राई को गिना नहीं जा सकता, आसमान के सितारों को गिना नहीं जा सकता ठीक उसी प्रकार भगवान की पवित्र प्रतिमा पर किये गये अभिषेक के महत्व को शब्दों में बताया नहीं जा सकता,सिर्फ महसूस किया जा सकता है। पवित्र प्रतिमा पर किया गया अभिषेक का जल शरीर से स्पर्शित करने से शरीर में व्याप्त व्याधियंा समाप्त करने की सामथ्र्य रखता है।
उन्होंने बताया कि मूर्तियों को साफ करने से उस पर जल नहीं डाला जाता वरन् भगवान का सानिध्य प्राप्त करने के लिए अभिषेक किया जाता है। अभिषेक का जल गंधोदक की संज्ञा प्राप्त करता है जो कि घर, परिवार में सख-समृद्धि प्रदान करता है। भावना पूर्वक की गई भक्ति भव-भव में संचित पापों को नष्ट कर देती है। इस भौतिक युग में भी नमस्कार से चमत्कार होते देखा जा सकता है। श्रद्धालुओं को मिठार्ई एंव नमकीन वितरीत की गई। सांयकाल भक्ति संध्या एंव प्रश्रोत्तरी का आयोजन हुआ। श्री शांतिनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर के अध्यक्ष रोशनलाल चित्तौड़ा ने बताया कि कल प्रात: 9 बजे से लघु सप्तरंगीअभिषेक व शेष बचे ऋद्धालु स्वर्ण,रजत कलश से कल अभिषेक कर सकेंगे। कल पंचामृत अभिषेक एंव शांतिविधान के साथ त्र दविसीय कार्यक्रम का समापन होगा। प्रतिष्ठाचार्य विनोद पगारिया ने मंत्रोच्चारण के साथ अभिषेक कराया। कार्यक्रम में तरूण चित्तौड़ा व मितुल कोठारी का भी सहयोग रहा।