Udaipur. तीन दिन से फतहसागर की पाल पर प्रवासरत जैन मुनि सुकुमालनंदी ने कहा कि झीलों को प्रदूषणमुक्ती बनाना जरूरी है। फतहसागर झील की पैदल परिक्रमा के दौरान कुछ स्थानों पर गंदगी देखकर आचार्य ने चिन्ता जाहिर की।
उन्होंने कहा कि झीलों को स्वच्छ बनाने के लिए झील का कोना-कोना निर्मल होना चाहिये। पिछोला की दुर्दशा पर आचार्य ने कहा कि पॉलीथिन आदि कूड़ा-कचरा झील में नहीं फेंकना चाहिये। फतहसागर की पाल हालांकि स्वच्छ और कूड़ा कचरा रहित है लेकिन इसके कोने की गंदगी को साफ करने की आवश्यकता है। सडक़ किनारे रेस्तरां नहीं होने चाहिये क्योंकि इससे ठण्डे पेय की बोतलें, आइसक्रीम कप, कागज सा पत्ता प्लेटें आदि धातु के कप पानी में तैरते नजर आते हैं। झीलों के आसपास अवैध निर्माण नहीं हो, चारों और छायादार पेड़ लगे। आचार्य ने कहा कि झीलों से ही उदयपुर का अस्तित्व है क्योंकि इसका पानी पूरा उदयपुर पीता है। सबकी प्यास बुझाने वाली इन झीलों का पानी पूर्णतया प्रदूषणमुक्त बनाना चाहिये और पानी एकदम स्वच्छ और निर्मल होना चाहिये। इस मुद्दे पर नगर विकास प्रन्यास के अध्यक्ष रूपकुमार खुराना, आर.पी. शर्मा, अनिल नेपालिया, अनित माथुर, विमल मेहता, निर्मल सुथार आदि सदस्यों ने जलाशय की पाल को और स्वच्छ व सुन्दर बनाने के लिए आचार्य से विस्तार से चर्चा की। सुकुमाल एकता मंच के अजय जैन ने बताया कि बुधवार को यूआईटी अध्यक्ष और अधिकारियों के साथ आचार्य की वृहद चर्चा होगी जिसमें झीलों के रखरखाव और इन्हें कैसे प्रदूषण मुक्त, स्वच्छ और सुन्दर रखा जाना शामिल है।