तिलक आसन व्याख्यानमाला
Udaipur. जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वनविद्यालय के संघटक लोकमान्य तिलक शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय डबोक के जनार्दनराय नागर सभाकक्ष में 41वीं तिलक आसन व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता प्रो. के. बी. पोवार, कुलपति डी. वाई.पाटील विश्व्विद्यालय, पुणे थे।
प्रो. पोवार ने पंचायत यूनिट के प्रशिक्षणार्थियों को संबोधित करते हुए भारत के अतीत, वर्तमान एवं भविष्य की शिक्षा व्यवस्था एवं स्थिति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वैदिक कालीन शिक्षा पद्धति गुरूकुलों में, बौद्ध कालीन शिक्षा पद्धति विद्यापीठों एवं तदनन्तर क्रमश: शिक्षा व्यवस्थाओं में परिवर्तन हुए हैं। समय के अनुसार षिक्षा के उद्देश्योंप में भी अनवरत परिवर्तन होते रहे हैं। प्राचीन कालीन शिक्षा व्यवस्था में षिक्षा के द्वारा आदर्श नागरिक तैयार करने का प्रयास किया जाता था, जबकि वर्तमान की षिक्षा व्यवस्था के द्वारा विद्यार्थी को रोजगार एवं जीविकोपार्जनपरक शिक्षा प्रदान करवाई जाती है। निजी शिक्षण संस्थाओं की वृद्धि के मूल में सरकारी नीतियों की विफलता है।
इस अवसर पर प्रो. बीना भल्ला निदेशक, भारतीय विश्वसविद्यालय, नई दिल्ली मुख्य अतिथि थी। अध्यक्ष विश्विविद्यालय के कुलपति प्रो. एस. एस. सारंगदेवोत एवं विशिष्ट् अतिथि रजिस्ट्रार डॉ. प्रकाश शर्मा थे। इस अवसर पर प्रो. पोवार, प्रो.भल्ला एवं प्रो. सारंगदेवोत को महाविद्यालय परिवार की ओर से स्मृति चिन्ह, शॉल एवं श्रीफल भेटकर सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. शशि चित्तौड़ा ने अतिथि परिचय एवं स्वागत् उद्बोधन दिया। कार्यक्रम में विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष डॉ. सरोज गर्ग, डॉ. देवेन्द्रा आमेटा, डॉ. रचना राठौड़, डॉ. बलिदान जैन, डॉ. बी.एल.श्रीमाली के साथ समस्त संकाय सदस्य एवं प्रशिक्षणार्थी उपस्थित थे। संचालन डॉ. अमी राठौड़ ने एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. देवेन्द्रा आमेटा ने किया।