मूल्य संवर्धन पर भी देंगे जानकारी
Udaipur. मात्स्यकी महाविद्यालय में मत्स्य प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन पर चार दिवसीय प्रशिक्षण गुरूवार को हुआ। इसमें डूंगरपुर के विभिन्न गावों से आये 30 मत्स्य कृषकों ने भाग लिया। मुख्य अतिथि परियोजना समन्वयक प्रो. एस. आर. मालू ने बताया कि प्रशिक्षण कार्यक्रम भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् नई दिल्ली द्वारा विशेष तौर पर राजस्थान के जनजाति उपयोजना क्षेत्र के कृषकों हेतु स्वीकृत किया गया है। इसके अंतर्गत कृषि, पशुपालन, मुर्गीपालन आदि विषयों को सम्मिलित किया गया है।
अध्यक्षता करते हुए महाविद्यालय के अधिष्ठाता प्रो. विमल शर्मा ने बताया कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् ने परियोजना के लिए दो करोड़ रूपये का बजट उपलब्ध कराया है। विशिष्ट अतिथि प्रो. एल. एल. शर्मा पूर्व अधिष्ठाता एवं विभागाध्यक्ष जलकृषि विभाग ने मछली के मूल्य संवर्धन के विविध आयामों पर प्रकाश डाला। प्रो. सुबोध शर्मा ने प्रतिभागियों को धन्यवाद दिया। प्रशिक्षण संयोजक प्रो. बी. के. शर्मा ने बताया कि परियोजना के अन्तर्गत जनजाति हेतु लघु स्तर पर मत्स्य प्रसंस्करण एवं संवर्धन पर आधारित स्वरोजगार एवं लघु उद्योगों की प्रोत्साहित करने हेतु मत्स्य कृषकों एवं उनके परिवार की महिलाओं को अनेक प्रशिक्षण दिये जाएंगे। इसके अंतर्गत उन्हें मछली के विभिन्न उत्पादों की जानकारी, मूल्य संवर्धन का महत्व मछली की डिब्बाबंदी, अचार, पकौड़े, कटलेट, करी इत्यादि खाद्य पदार्थ बनाने का प्रशिक्षण विभिन्न विषय विशेषज्ञों द्वारा प्रदान किया जाएगा।