Udaipur. द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंस इलाहाबाद के विशेषज्ञ प्रो. वी. पी. शर्मा ने कहा कि रिसर्च स्कॉटलर लेखन से पहले कान्सेइप्टे और हाइपोथिसिस पर ध्यान दें। लेखन से पूर्व ड्राफ्ट कम से कम पांच बार अनुभवी गुरु को दिखाएं और उनकी सलाह लें। उसके बाद ही उसे जर्नल के लिए भिजवाएं।
वे शुक्रवार को साइंटिफिक रिसर्च पेपर राइटिंग विषय पर एकेडमी की ओर से सुखाडि़या विश्वविद्यालय में आयोजित तीन दिनी कार्यशाला के पहले दिन रिसर्च स्कॉलर्स को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि बार बार गुरु को दिखाने से पुनरावृत्ति व संशोधन की संभावना कम हो जाती है। आईआईवीआर लखनऊ के डॉ. ए. बी. पंत ने प्रजेन्टेशन के बारे में तो बनारस हिन्दू् विश्वविद्यालय के प्रो. सुरेशचंद्र ने शोध में तकनीकी अंग्रेजी का ज्ञान जरूरी बताया। इससे अंग्रेजी में आने वाली परेशानियों का समाधान हो जाता है। डिलींग विद रेफरीज कमेंट्स पर भी चर्चा की।
शनिवार को नई दिल्ली के डॉ. सत्यनारायण इथिकल कंसीडरेशन इन साइंटिफिक पेपर राइंटिंग पर जानकारी देंगे। प्रो. कृष्णा मिश्रा आईपीआई पेटेन्टस कॉपीराइट तथा प्रो. अनूप चतुर्वेदी सांख्यिकी एनालिसिस पर चर्चा करेंगे। राइटिंग ऑफ प्रोजेक्ट पर प्रो. यू. सी. श्रीवास्तंव संबोधन देंगे।