फीता काटो सरकार, संदेश नहीं क्षमा/पश्चाताप यात्रा, फिर धोखा नहीं करना, कटारिया-अर्चना में बहस, ठीक पीछे धुर विरोधी टीम, कटारिया पर वसुंधरा का काउंटर?
गोगुंदा से लौटकर सुनील गोठवाल
udaipur. चारों ओर कमल के निशान वाले बैज, पोस्टर, फ्लैक्स, वसुंधरा की फोटो लगी टोपियां पहने युवा, हाथों में तख्तियां लिए महिलाएं और नारेबाजी करते ग्रामीण। कुछ ऐसा ही उत्साह का माहौल था लोसिंग से आगे कालोड़ा से लेकर गोगुंदा तक। शनिवार को वसुंधरा की सुराज संकल्प यात्रा लोसिंग होते हुए गोगुंदा पहुंची जहां हुई सभा में काफी संख्या में लोग मौजूद थे।
कालोड़ा में शहर जिला, महिला मोर्चा, युवा मोर्चा की ओर से सुराज संकल्प यात्रा का भव्य स्वागत किया गया था जहां इतनी संख्या में पहुंचे कार्यकर्ताओं को देखकर वसुंधरा खुद अभिभूत हो गईं। लोसिंग में बड़गांव मंडल के भाजपा नेता कैलाश शर्मा के नारे लगाते ग्रामीणों को किसी और नेता से कोई मतलब नहीं था। वहां ग्रामीण सिर्फ कैलाश शर्मा के नारे लगा रहे थे। वसुंधरा को खुद कैलाश शर्मा को अपने पास बुलाना पड़ा। पूरे रास्ते में स्वागत द्वार लगाए गए थे वहीं विभिन्न मंडलों के पदाधिकारियों के चित्र दर्शाते फ्लैक्स भी दिख रहे थे। लोसिंग में अपने हाईटेक रथ में लिफ्ट के माध्यम से रथ की छत पर पहुंची वसुंधरा ने ग्रामीणों को संबोधित किया। वहां से विभिन्न स्थानों से होता हुआ रथ गोगुंदा पहुंचा जहां हुई सभा को पहले स्थानीय भाजपा नेताओं ने संबोधित किया।
सीटों में 10 तो बजट में 1 प्रतिशत क्यों ?
फिर नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने महाराणा प्रताप की राजतिलक स्थली के गुणगान करते हुए कहा कि प्रताप ने 36 कौम के सरदारों को साथ लेकर अपनी सेना बनाई थी। इसी तरह वसुंधरा भी 36 कौमों को शामिल करते हुए अपनी विजय यात्रा पर निकली हैं। कांग्रेस ने 59 वर्ष तक राज किया लेकिन आम आदमी को उसका अधिकार नहीं मिल सका। प्रताप ने भी अपनी लड़ाई का बिगुल यहीं से बजाया था और आज भाजपा के स्थापना दिवस पर भी वसुंधरा अपना बिगुल यहीं से बजा रही हैं। उन्हों ने कहा कि 28 सीटों में से 22 सीटें देने वाले मेवाड़ को बजट में मात्र एक प्रतिशत मिलता है। दस प्रतिशत सीटों में योगदान देता है तो फिर बजट में सिर्फ एक प्रतिशत क्यों? और तो और मंत्रियों में भी मात्र ढाई मंत्री। मालवीया और परमार केबिनेट मंत्री हैं और मांगीलाल गरासिया तो राज्य मंत्री। सिर्फ गाड़ी और लाल बत्ती दे दी बाकी काम कुछ नहीं।
मेवाड़ का कर्ज है मुझ पर : वसुंधरा
वसुंधरा ने कहा कि जब मैं बाहर थी तो सुना कि खूब घोषणाएं हुई हैं। हमने सोचा कि राजस्थान का कायापलट हो गया है। जाकर देखना चाहिए लेकिन आने पर पता चला कि कुछ नहीं है। सब वैसे के वैसे ही हैं। मेवाड़ का मुझ पर कर्ज है। वर्ष 2003 में मेवाड़ ने इतिहास रचा। आज आकर देखो तो हर आदमी का मुंह उतरा हुआ है। युवा, किसान, व्यापारी कोई खुश नहीं है।
फीता काटो सरकार
वसुंधरा ने गहलोत सरकार को तीन नए नाम देते हुए कहा कि घोषणा सरकार, फीता काटो सरकार और कुंभकर्णी नींद में सोई सरकार है। कोई भी मांग करो तो फट घोषणा हो जाती है। हां, घोषणा करने में जाता भी क्या है। उसी प्रकार हमने पूर्व कार्यकाल में पांच वर्षों में जो काम किए थे, उसके बाद हमें वापस जनादेश नहीं मिला तो उसके बाद सारे कार्यों के फीते इसी सरकार ने काटे। साढे़ चार साल तक सोए रहे। अब चुनाव आने पर ही याद आई। अब तक कहां सो रहे थे। कुंभकर्ण भी छह माह तक ही सोता था लेकिन ये तो साढे़ चार साल तक सोते ही रहे।
संदेश नहीं क्षमा/पश्चाताप यात्रा
कहते हैं कि मैं कहां थी। अरे मैं तो गोपालगढ़ दंगों के पीडि़तों के आंसू पोंछ रही थीं जब आप वहां नहीं थे। जोधपुर सार्वजनिक हॉस्पिटल में जब प्रसूताओं की मौत हो गई थी तब मैं वहां थी। हमने सुराज संकल्प यात्रा निकाली तो इन्होंने संदेश यात्रा निकाल ली। इन्हें तो क्षमा यात्रा या पश्चाताप यात्रा निकालनी चाहिए। सर्वाधिक भ्रष्टाचारी अगर कोई है तो इस सरकार के मुख्यमंत्री। पिछली सरकार के समय बात आई थी कि कड़ी से कड़ी जोड़ो। कड़ी तो जनता ने जोड़ दी लेकिन उसका लाभ नहीं मिला।
फिर धोखा नहीं करना
वसुंधरा ने सभा में समस्याओं को लेकर जनता से हाथ खडे़ करवाए। फिर उन्होंने कहा कि हर बार की तरह इस बार मेरे साथ धोखा मत करना। हर बार कहते जरूर हो लेकिन फिर साथ नहीं देते। अगर यहां से हमारा विधायक बन गया तो मैं समझूंगी कि आपने प्रताप की राजतिलक स्थली से मेरा राजतिलक कर दिया है। अंत में उन्होंने जय जय राजस्थान, नया राजस्थान और विकसित राजस्थान के नारे भी लगवाए।
कटारिया पर वसुंधरा का काउंटर?
एक ओर जब मंच पर चढ़ने से कटारिया सभी को रोक रहे थे। भाषण समाप्त होने के बाद वसुंधरा स्वयं पैदल ही यह कहते हुए भीड़ के बीच चली गई कि इतनी दूर से कार्यकर्ता मेरा इंतजार कर रहे हैं। उन्हें निराश नहीं करना चाहिए। युवाओं और बच्चों ने उनके पैर छूए।
कटारिया ने रोका अर्चना को
वसुंधरा को एक कार्यकर्ता गोपीलाल मेनारिया की ओर से सोने की रखड़ी पहनाने के लिए जब अर्चना शर्मा मंच पर चढ़ने लगी तो कटारिया ने कहा कि क्या अब तुम सब भी मंच पर चढ़ोगे। इस पर अर्चना ने कहा कि बस भाईसाहब, अब बहुत हो गया। ये कहकर अर्चना रखड़ी पहनाने चली गईं। अर्चना शर्मा से बात करने पर उन्होंने कहा कि ऐसा कुछ नहीं है। कटारियाजी के किसी व्यक्तिगत कार्यक्रम में नहीं गए थे। वसुंधराजी की सभा में और पार्टी के लिए गए थे। मैंने कटारियाजी के सम्मान स्वरूप अपने स्वभाव के विपरीत परिस्थितिवश काफी धैर्य बनाए रखा।
ठीक पीछे धुर विरोधी टीम
कटारिया-वसुंधरा के लिए मंच पर लगे सोफे के ठीक पीछे कटारिया विरोधी गुट के ताराचंद जैन, रवीन्द्र श्रीमाली, अनिल सिंघल, सुषमा कुमावत, अर्चना शर्मा, धर्मनारायण जोशी आदि बैठे थे। कटारिया के संबोधन के समय जोशी को सांसद भूपेन्द्र यादव के साथ काफी हंसी-मजाक करते देखा गया। सभा में उपसभापति महेन्द्रसिंह शेखावत, विजयप्रकाश विप्लवी, नगर निगम वित्त समिति अध्यक्ष कविता मोदी, पार्षद मीनाक्षी जैन, मांगीलाल जोशी, प्रमोद सामर, महावीर भगोरा, चुन्नीलाल गरासिया सहित कई गणमान्य् नेता मौजूद थे।
गाडि़यों का काफिला
रथ के साथ करीब करीब 50 लक्जरी गाडि़यों का काफिला चल रहा था। इनमें कई गाडि़यों पर सुराज संकल्पी यात्रा तथा वसुंधरा के फोटो लगे हुए थे। कई दिग्गज उद्योगपति, ठेकेदार भी सभा में पहुंचे।