Udaipur. फसल उत्पादन में आशातीत वृद्धि के लिए हमारे वैज्ञानिकों को मिशन कार्य में स्वतंत्रता और कार्य के प्रति आक्रामकता अपनाने की आवश्यकता है। देश के कपास उत्पादन को उचित प्रबन्धन से अगले दस वर्षों में दुगुना तक किया जा सकता है।
ये विचार अखिल भारतीय समन्वित कपास उन्नयन परियोजना की वार्षिक समूह बैठक के उद्घाटन कार्यक्रम में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उपमहानिदेशक (फसल विज्ञान) डॉ. एस. के. दत्ता ने मुख्य अतिथि के रूप में व्यठक्तय किए। उन्हों ने कहा कि आज देश में कपास उत्पादन में मजदूरी एवं लागत कई गुना बढ़ गई है, परन्तु उत्पादन में वृद्धि के द्वारा किसानों का लाभ बढ़ाया जा सकता है, इसके लिए हमें उचित फसल प्रबन्धन, जल प्रबन्धन, कीट एवं व्याधि प्रबन्धन एवं उन्नत बीज की आवश्यकता है, और हमारे देश के वैज्ञानिक इस दिशा में कार्य करने में सक्षम हैं।
अभिभाषण में अध्यक्ष (क्यूआरटी) केन्द्रीय कपास अनुसंधान संस्थान एवं कपास उन्नयन परियोजना के डॉ. सी. डी. माही ने कपास अनुसंधान को नई दिशा दिखाते हुए देश के विभिन्न केन्द्रों पर संचालित अनुसंधान में कपास के उत्पादन में वृद्धि, प्रिसिजन (परिशुद्ध) फार्मिंग तकनीकों के विकास एवं विभिन्न गुणों से युक्त बीजों के विकास पर अपना ध्यान केन्द्रित करने की आवश्यकता जताई।
अध्यक्षता करते हुए महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. ओ. पी. गिल ने कहा कि कपास विश्व की एक महत्वपूर्ण रेशे वाली फसल है और देश के कृषि अनुसंधान संस्थाओं एवं कृषि विश्वविद्यालयों के योगदान से आज हमारा देश कपास के 35.5 मिलियन बेल्स के उत्पादन स्तर को छू पाया है और एक बड़ा कपास निर्यातक देश बन पाया है। चूंकि कपास की फसल में बहुत अधिक पोषक तत्वों, पानी एवं कीट नाशकों की आवश्यकता होती है ऐसी चुनौतीपूर्ण स्थितियो में हमारे देश के कृषि वैज्ञानिकों के लिए बहुत बड़ी जिम्मेदारी है।
आरम्भ में केन्द्रीय कपास अनुसंधान संस्थान (नागपुर) के निदेशक डॉ. के. आर. क्रांति, सहायक महानिदेशक (व्यावसायिक फसल, आईसीएआर) एवं सिरकोट, मुम्बई के निदेशक डॉ. एस. के. चटोपाध्याय ने भी विशिष्ठ व्याख्यान दिए। अनुसंधान निदेशक डॉ. पी. एल. मालीवाल ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि यह मीटिंग सभी वैज्ञानिकों और अनुसंधानकर्ताओं के लिए काफी महत्वपूर्ण और उपयोगी साबित होगी और इस मीटिंग से प्राप्त होने वाली अनुशंसाओं का लाभ किसानों तक पहुंचाया जाएगा। कार्यक्रम समन्वयक (कपास उन्नयन) डॉ. ए. एच. प्रकाश ने एक वर्ष में देश के 21 भारतीय समन्वित कपास उन्नयन परियोजना केन्द्रों पर संचालित विभिन्न अनुसंधान गतिविधियों की विस्तार से रिपोर्ट प्रस्तुत की। उन्होंने बताया कि वर्ष 2012-13 के दौरान कपास उत्पादन प्रौद्योगिकी के तहत 807 प्रथम पंक्ति प्रदर्शन लगाए गए। साथ ही कपास समन्वित कीट प्रबन्धन के लिए 13 केन्द्रों पर प्रथम पंक्ति प्रदर्शन लगाए गए।