रोटरी क्लब उदयपुर द्वारा ‘उदयपुर की झीलों में प्रदूषण के कारण एंव उसके निराकरण के उपाय’ विषयक वार्ता
Udaipur. झीलों के कैचमेन्ट एरिया में खेती में काम वाले रासायनिक खाद पोटेशियम सल्फेट की अधिकता के कारण पानी के साथ बहकर झीलों में आने वाला यह रासायनिक पदार्थ मछलियों के लिए घातक होता है इसी कारण झीलों में मछलियों की कमी देखने को मिल रही है। साथ ही कुम्हारिया तालाब के कारण झीलें 60 प्रतिशत तक प्रदुषित हो रही है। इन कारणों का निराकरण किये बिना शहर की झीलों को प्रदुषणमुक्त रख पाना कठिन है।
सिंचाई विभाग के पूर्व मुख्य अभियन्ता पी. एल. रूंगटा कल रोटरी क्लब द्वारा रोटरी बजाज भवन में आयोजित ‘उदयपुर की झीलों में प्रदूषण के कारण व उसके निराकरण के उपाय’ विषयक वार्ता में मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि उन्होंने कहा कि 60-70 के दशक में शहर की झीलें बहुत साफ हुआ करती थी अब वहीं झीलें अब मछलियों की कमी, कैचमेन्ट एरिया में रासायनिक खेती व उसमें अधिकतम रासायनिक खाद के प्रयोग के कारण झीलें प्रदूषित रहने लगी हैं। उन्होंने बताया कि शहर के कुम्हारिया तालाब के कारण 60 प्रतिशत झीलें इसी के कारण प्रदूषित हाने लगी है इसलिए सर्वप्रथम इस तालाब को साफ रखने के उपाय ढूंढने चाहिए। पिछोला झील सिस्टम को 50-60 प्रतिशत तक प्रदुषित करने के लिए एक मात्र जिम्मेदार कुम्हारिया तालाब है। लगभग मात्र 10 लाख रुपए की लागत से कुम्हारिया तालाब को झील सिस्टम से कट ऑफ किया जा सकता है।
रूंगटा ने बताया कि मछली के लिए दिये जाने वाले ठेकों को प्रति वर्ष के बजाय 8-10 वर्ष के अन्तराल पर दिये जाने चाहिए ताकि झीलों में पायी जाने वाली गन्दगी को समाप्त कर झीलों को साफ रखने में अहम भूमिका निभाने वाली मछलियों की संख्या में वृद्धि हो सके। उन्होंने कहा कि यदि समय पर देवास द्वितीय का पानी शहर की झीलों मे आ जाए तो फतहसागर व पिछोला की भराव क्षमता की 75 प्रतिशत आपूर्ति अकेला देवास द्वितीय कर देगा। देवास द्वितीय में अब तक 315 करोड़ रूपयें खर्च हो चुके है लेकिन मात्र 50-60 करोड़ रूपयें के कारण यह योजना विलम्ब होती जा रही है जिसका नुकसान शहर की जनता को भुगतना पड़ रहा है।
उन्होंने बताया कि झीलों को साफ रखने के लिए राज्य के 5 शहरों की 6 योजनाएं स्वीकृत हुई थी जिसमें से उदयपुर की दोनों योजनाओं को छोडक़र चारों शहरों की योजनाएं पूर्ण हो चुकी है। इससे पूर्व क्लब अध्यक्ष सुशील बांठिया ने भी विचार व्य क्ती किए। शांता सिरोया ने ईश वंदना प्रस्तुत की। अंत में सचिव ओ.पी.सहलोत ने धन्यवाद दिया।