कवि सम्मेलन में देर रात तक श्रोता हुए मंत्रमुग्ध
Udaipur. महावीर जयंती के उपलक्ष्य में प्रतिवर्ष की भांति महावीर युवा मंच की ओर से रसवर्षा-2013 में शनिवार रात भारतीय लोक कला मण्डल के खचाखच भरे मुक्ताकाशी रंगमंच पर हास्य-व्यंग्य-श्रृंगार की फुहारों ने श्रोताओं को रससिक्तम कर दिया। वर्ष 2013 का स्व. कृष्णकान्त कर्णावट स्मृति द्वितीय युवा कवि पुरस्कार नवोदित कवियित्री रेणु सिरोया को प्रदान किया गया।
कवियों ने न सिर्फ राजनीति व राजनीतिज्ञों पर निशाना साधा बल्कि समाज की विसंगतियों पर भी व्यंग्य किया। बेटमा के संजय खत्री ‘काला धन’ ने ‘आइने से कभी पूछना, सच्चाई क्या होती है। बेवा से कभी पूछना, शहनाई क्या होती है। बेटे की चंद सांसों के लिए अस्मत भी बेच दी जिसने, उस मां से कभी पूछना, दवाई क्या होती है’ प्रस्तुत कर श्रोताओं के मन को झकझोर दिया। अजमेर के रास बिहारी ने पापा डेस्कहटॉप पर, मम्मी लेपटॉप पर, बच्चे टेबलेट पे, सब नेट पे चेट साथ-साथ कर रहे हैं, आपस में एक-दूसरे से नहीं, अलग-अलग तीसरे से बात कर रहे हैं से करारा व्यंग्य किया। इटावा के कवि गौरव चौहान ने ‘ना किसी मजहब ना खुदाओं पर टिका है ना तो यह सियासत की खताओ पर टिका है। संसद के लुटेरों में नहीं दम जो इसे हिला दे प्रस्तुत कर श्रोताओं को सोचने पर विवश कर दिया। भरतपुर के डॉ. भगवान ‘मरकंद’ ने हास्य रस घोलते हुए ‘पशु जो बनाए तो बनाना कुत्ता मंत्री का, एसी बंगला के बीच खूब सुख पाऊंगा। चाहे जिसे काट खाऊं जरा नहीं दण्ड पाऊं, जहां चाहूं वहां जाऊं माल को उड़ाऊंगा’ प्रस्तुत की।
फरीदाबाद से आए कवि सरदार मंजीतसिंह ने नारी की स्थिति का चित्रण करते हुए अपनी रचना प्रस्तुत की और उल्लेख किया कि ‘अधरों के ताले तोड़ोगी मुस्का के तन जाओगी, हाथों को बांधे रखोगी, केवल अबला कहलाओगी’ के माध्यम से महिलाओं को जागने का आहृान किया। हास्य की फुलझडि़या बिखेरते हुए अहमदाबाद की संगीता अग्रवाल ने अपनी प्रस्तुति ‘बड़े-बड़े अक्षरों से लिखा था मंदिर की दीवार पर, मेहरबानी कर पत्नी से ना हो जाना बेखबर, भीड़ में गर कहीं खो गई तो गलतफहमी होगी कि इतनी जल्दी भी होता है दुआओं का असर’ से पुरुषों की स्थिति का बखान किया। भोपाल के मदन मोहन ‘समर’ देशभक्ति से ओतप्रोत कविता प्रस्तुत की। जयपुर के उमेश उत्साही ने हां चेतक का आत्मदान तो युगों युगों पर भारी है, राणा ही नहीं पूरा भारत चेतक का आभारी है सुनाकर दर्शकों को लोटपोट कर दिया। संचालन उदयपुर के राव अजातशत्रु ने किया। उन्होंने कुर्सियां रूठे तो रूठे, बोझ हम ढोते नहीं हैं, हम कवि हैं हम किसी के पालतु तोते नहीं हैं। चक्रधारी चक्र सी चमकदार तेज आंखे, आखें है ये आंखों में तिरंगा छोड़ गया है प्रस्तुत की।
मुख्य अतिथि महापौर रजनी डांगी थी। अध्यक्षता समाजसेवी गजेन्द्र भंसाली ने की। विशिष्ट अतिथि समाजसेवी यशवंत आचलियां, उद्योगपति एवं समाजसेवी किरणमल सावनसुखा, लादूलाल मेडतवाल, लक्ष्मणसिंह कर्णावण थे। कार्यक्रम में मंच अध्यक्ष राजेश चित्तौड़ा, महामंत्री महेश कोठारी, संयोजक हर्ष सरूपरिया सहित महिला प्रकोष्ठ अध्यक्ष अनिता नागोरी, महामंत्री रितु सिंघवी अन्यस पदाधिकारियों ने कवियों का माल्यार्पण, पगड़ी तथा शॉल ओढ़ाकर सम्मान किया। मुख्य संरक्षक प्रमोद सामर ने प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। नई कार्यकारिणी को शपथ दिलाई गई। समाज के 11 युवाओं का सम्मान भी किया गया।