‘थपक्या देती मावड़ी’ की समीक्षा
Udaipur. मां सृजन की संवाहक है। वह सृष्टि बनाती भी है और उसे सफलतापूर्वक संचालित भी करती है। मां पर वही कलमकार कलम चला पाता है जिसे मां का स्नेह व आशीर्वाद दोनों मिले हों।
ये तथ्य। मेदपाट साहित्य संगम के संस्थापक अध्यक्ष चावण्डसिंह राणावत विद्रोह की राजस्थानी काव्य कृति ‘थपक्या देती मावडी़’ की समीक्षा गोष्ठी में विद्वानों के विचार विमर्श में उभरकर आए। मेदपाट साहित्य संगम की और से मंगलवार को यहां नेहरू छात्रावास स्थित तिलक सभागार मे आयोजित गोष्ठी मे मुख्य अतिथि राजस्थान विद्यापीठ के कुलपति डॉ. एस. एस. सारंगदेवोत ने कहा कि यह काव्य कृति उनके मन को छू गई है। जिंदगी के झरोखे से झांकती वात्सल्य की स्मृतियां पुस्तक पढ़कर जीवंत हो गई। वे प्रयास करेंगे कि इस कालजयी काव्य कृति को राजस्थान विद्यापीठ के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए। डॉं. भगवती व्यास ने कहा कि इन सौ दोहों में माटी की गंध और मेवाडी परिवेश की झलक स्पष्ट दिखाई देती है। विशिष्ट अतिथि देहात जिला कांग्रेस अध्यक्ष लालसिंह झाला ने कवि विद्रोही को शुभकामनाएं प्रेषित करते हुए काव्यकृति को कालजयी बताया। इतिहासविद डॉ. औंकारसिंह राठौड़ केलवा ने थपक्यां देती मावडी़ काव्य कृति को मेवाडी़ संस्कृति का प्रतिबिम्ब और मां के प्रति सहज उदगार का प्रतिनिधित्व बताया। समीक्षा गोष्ठी में पुस्तक की समीक्षा करते हुए सुखाडिया विश्वतविद्यालय में प्रत्रकारिता विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. कुंजन आचार्य ने कहा कि इस पुस्तक में राजस्थानी दोहों का हिन्दी भावार्थ व अंग्रेजी में अनुवाद भी किया गया है।
यह प्रयास राजस्थानी भाषा को और अधिक विशिष्टता से प्रतिष्ठित करेगा। साहित्यभकार व इतिहाकार डॉ. श्रीकृष्ण जुगनू कहा कि यह काव्य कृति कवि की ओर से मां के प्रति सच्ची श्रद्वाजंली है। मां की जीवन लीला को जिस खुबी से लेखक ने शब्दों मे उकेरा है। वह पुनः मानवीय संस्कार जगाते प्रतीत होते हैं। अलख नयन मन्दिर के संस्थापक डॉ. हरिसिंह चुडाण्वत, बी. राणावत चीफ इंजीनियर बिजली विभाग ने भी पुस्तक की समीक्षा प्रस्तुत की। गोष्ठी, के दौरान मुरली साहू और साथियों ने इस पुस्तक मे प्रकाशित दोहों की भावपूर्ण संगीतमय प्रस्तुति दी।
अध्यक्ष महाराज शिवदानसिंह कारोही ने लेखक को शुभ आसीस दी। काव्य कृति के लेखक चावण्ड सिह राणावत विद्रोही ने पुस्तक सृजन पर अपने अनुभव सुनाए। कार्यक्रम के प्रारम्भ में सरस्वती वंदना पुष्कर ग्रप्तेश्वर , वाणी वंदना , इकबाल हुसैन इकबाल तथा बधावा गीत नरोत्ताम व्यास ने प्रस्तुत किया । संचालन गिरीश जोशी ने एवं धन्यवाद नन्दलाल ओझा ने दिया। कार्यक्रम के पश्चात आयोजित कवि गोष्ठी मे शहर के गणमान्यन कवियों ने भाग लिया।