विद्या भवन में दो दिवसीय कार्यशाला शुरू
‘आधार’ के ज़रिए जुलाई से होगा भुगतान
Udaipur. ज़िले में सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के तहत पेन्शन के करीब एक लाख लाभार्थी हैं, जिनमें से 32 हज़ार जनों के ही खातों में राशि हस्तान्तरित हो रही है। बैंक व डाकघरों की कमी को पूरा करने के लिए घुमन्तू ‘बैंकिंग कॉरस्पॉण्डेण्ट’ मैदान में उतारे जायेंगे, जिनके पास सेटेलाईट से जुड़ी मशीनें होंगी। इससे लोगों तक पहुँच भी बढ़ेगी और वित्तीय संस्थाओं पर दबाव भी कम होगा।
यह जानकारी ज़िला परिषद के अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी हर्ष सावनसुखा ने दी। वे विद्या भवन स्थानीय स्वशासन एवं उत्तरदायी नागरिकता संस्थान की ओर से गुरूवार को ‘पंचायती राज सशक्तीकरण’ विषयक दो दिवसीय कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। उन्हों ने बताया कि जुलाई से आधार कार्ड के ज़रिए भुगतान शुरू होंगे। शीघ्र ही हर ग्राम पंचायत में दो एलडीसी नियुक्त होंगे और पंचायतें पूर्ण कार्यालयों की तरह संचालित हो पाएंगी। अध्यक्षता करते हुए प्रो. अरुण चतुर्वेदी ने जनप्रतिनिधियों को कम्प्यूटर व इन्टरनेट के प्रशिक्षण पर बल दिया।
विद्या भवन कृषि विज्ञान केन्द्र में आयोजित कार्यशाला में संस्थान ने क्षमता संवर्द्धन कार्यक्रम के साथ ही 24 ग्राम पंचायतों में 54 वॉर्ड सभाओं के ज़रिए राजनैतिक प्रक्रिया में जड़-मूल स्तर पर ग्रामवासियों की भागीदारी के अपने प्रयोग को भी प्रस्तुत किया।
मुख्य अतिथि उप जिलाप्रमुख श्यामलाल चौधरी ने कहा कि पंचायती राज ने अधिकार दिया है और जनता ने अमूल्य वोट, जिसका आदर करना जनप्रतिनिधियों का कर्तव्य है। नौकरशाही का दोष देने भर से काम नहीं होगा, अधिकार जनप्रतिनिधियों के पास है तो जनहित में उसका उपयोग भी करना होगा। शिक्षा और जानकारियों के अभाव में अधिकतर सरपंचों को भी मालूम नहीं कि वित्तीय स्वीकृति जारी होते ही उनकी पंचायत के खाते में 60 फीसदी राशि हस्तान्तरित हो जाती है।
अध्यक्षता करते हुए विद्या भवन सोसायटी के अध्यक्ष रियाज़ तहसीन ने बताया कि आज़ादी के आंदोलन के दौरान 1931 में ज़िम्मेदार नागरिक तैयार करने के लक्ष्य को लेकर विद्या भवन की स्थापना हुई थी और 1997 में ज़िम्मेदार जनप्रतिनिधि तैयार करने के लिए इस संस्थान को स्थापित किया गया। संस्थान के प्रो. वेददान सुधीर ने पंचायती राज के सरोकारों का उल्लेख किया, जबकि अकादमिक सलाहकार के.सी. मालू ने पंचायती राज संस्थाओं के सुचारू संचालन में बाधाओं और उन्हें दूर करने के प्रयासों का उल्लेख किया।