बच्चों के साथ रेजीडेंसी में हुआ संवाद
Udaipur. कल्पना चावला की मृत्यु कैसे हुई। ब्लैकहोल क्या होता है। अंतरिक्ष में दुर्घटनाएं कैसे हो जाती हैं। क्या इन्हें रोकने के लिए इसरो कुछ कर रहा है। ऐसे ही कुछ सवालों का सामना करना पड़ा इसरो के चेयरमैन डॉ. राधाकृष्णन को।
वे यहां डी. एस. कोठारी स्मृनति व्या्ख्या नमाला में हिस्सा लेने जाने से पूर्व उदयपुर के रेजीडेंसी सीनियर स्कूल में आयोजित संवाद कार्यक्रम में बच्चों से बातचीत करने पहुंचे थे। इनमें सेंट पॉल्स, सेंट मेरिज, एमएमपीएस, रेजीडेंसी, डीपीएस, सेंट एंथोनी आदि स्कूलों के बच्चे शामिल थे। बच्चों के कल्पना चावला की मृत्यु के सवाल पर डॉ. राधाकृष्णन ने कहा कि कोलंबिया शटल वापसी के दौरान तकनीकी खराबी आ गई जिससे शटल क्रेश हो गया। ऐसी दुर्घटनाओं को रोकने के लिए इसरो के प्रयासों के बारे में उन्होंने बताया कि ऐसी वे सभी तकनीकें शामिल की जा रही हैं जो ऐसी दुर्घटनाओं को रोकने में सक्षम हों। धरती पर बेतरतीब यातायात को देखते हुए क्या अंतरिक्ष में जाम जैसे हालात के बारे में डॉ. राधाकृष्णन ने कहा कि अति सर्वत्र वर्जयेत। संतुलन सभी जगह जरूरी है।
प्रतिस्पर्धा में आगे रहना हमारा उद्देश्य
इसरो चेयरमैन डॉ. राधाकृष्णन ने बुधवार को रेलवे ट्रेनिंग स्कूल सभागार में शांतिपीठ की ओर से आयोजित डॉ. डी. एस. कोठारी स्मृति व्याख्यानमाला में कहा कि इसरो का उद्देश्य् किसी से प्रतिस्पर्धा करना नहीं बल्कि इस वैज्ञानिक प्रतिस्परर्धा में आगे रहना है। यही कारण है कि आज हम विश्व में अंतरिक्ष की दिशा में प्रमुख देशों के साथ खडे़ हैं। उन्होंने कहा कि फिलहाल यूएस, रशिया, जापान, चीन, यूरोप के बाद भारत का नंबर आता है लेकिन वह दिन दूर नहीं जब भारत सर्वोच्च स्थान पर होगा। स्पेस तकनीकी का उपयोग आमजन के लिए कैसे उपयोगी बने, इस पर निरंतर अनुसंधान हो रहे हैं। रिमोट सेंसिंग और सेटेलाइट तकनीक का उपयोग विकास कार्यों में किया जा रहा है। अन्य अतिथियों के रूप में सुविवि कुलपति प्रो. आई. वी. त्रिवेदी, वरिष्ठ पत्रकार गुलाब कोठारी आदि ने भी विचार व्यक्त किए।