ठाकुरजी के नगर भ्रमण में उमड़े श्रद्धालु
अपार उत्साह, भक्ति में लीन
Udaipur. किसी को किसी की कोई चिंता नहीं, परवाह नहीं..। सभी अपने अपने हिसाब से भगवान की भक्ति में लीन थे मानों सीधे भगवान से ही उनका साक्षात्कार था। युवा अपनी मस्ती में नाच में मग्न थे तो बुजुर्ग धार्मिक गीतों की धुन पर नृत्य करने या मचलने में लीन थे।
मौका था भगवान जगन्नाथ के नगर भ्रमण का। क्याध युवा, महिला युवतियां, महिलाएं, बुजुर्ग, आबाल वृद्ध… हर कोई मानों भगवान जगन्नाथ से रूबरू मिलने को आतुर था। जैसे ही सामने श्रद्धालुओं द्वारा नंगे पैरों से खींचते रजत रथ में सवार ठाकुरजी को देखा तो मानों सारी दुनिया ही मिल गई। इससे पहले निकले रथ में स्वर्ण वेश में हिरणमगरी सेक्टुर 7 स्थित जगन्नाथ धाम से ठाकुरजी के साथ बलभद्रजी एवं सुभद्राजी विराजित थे। रथ को हाथ लगाकर ही मानों अपनी कामना पूरी करना चाहते थे। होड़ाहोड़, भागमभाग में बस एक बार रथ को छू लेने की ही कामना थी।
इससे पहले सुबह तड़के 5 बजे ठाकुरजी को पंचामृत स्नान कराया गया। फिर विशेष श्रृंगार कराकर केसरिया पोशाक धराई गई। फिर 10 बजे पुन: श्रृंगार और 11 बजे भोग आरती हुई। इस दौरान भजन-कीर्तन चलते रहे। नगर भ्रमण से पूर्व ठाकुरजी को गर्भगृह से बेवाण में विराजित कर मंदिर की चारों देवरियों का भ्रमण कराया गया। सूर्य मंदिर में भोग धराकर बेवाण की आरती की गई। नगर भ्रमण से पूर्व प्रतीकस्वरूप काठ के घोड़ों को पानी पिलाने और बाल्टी में दाल-चने खिलाने की रस्म अदा की गई।
रथयात्रा के मार्ग में जगह जगह ठाकुरजी और श्रद्धालुओं का शीतल पेय, आइसक्रीम, खीर, पेठे आदि खिलाकर स्वागत किया गया। जगदीश चौक से रवाना हुए रथ में ठाकुरजी घंटाघर, बड़ा बाजार, मोचीवाड़ा, भड़भूजा घाटी, भूपालवाड़ी, तीज का चौक, धानमंडी, लखारा चौक, झीनीरेत चौक, आरएमवी रोड, कालाजी गोराजी, भट्टियानी चोहट्टा होते हुए वापस जगदीश मंदिर पहुंचे। उत्साहित श्रद्धालुओं का आलम यह कि जहां जगह मिली, जमकर बैठ गए। वाहनचालकों को जगह नहीं मिली तो अपने वाहन इधर उधर गली में फिट कर आए और फिर रथ के इंतजार में रहे।
आरएमवी रोड पहुंचने पर आरएमवी चौराहे से कालाजी गोराजी तक आलोक संस्थान के तत्वावधान में भक्तों ने 21 हजार दीयों से महाआरती की। शहर भर में मकानों के उपर ओम अंकित पताकाएं लहराती दिखाई दी। रथयात्रा के शुभारंभ से पूर्व जगदीश मंदिर पर ही मेवाड़ प्रताप दल ने 21 बंदूकों की सलामी दी।