खाली झीलें देखकर निराशा
Udaipur. हरियाली अमावस्या का मेला यानी उदयपुर के चर्चित मेलों में से एक। इस दिन का आदिवासी क्षेत्रों के लोग काफी इंतजार करते हैं। हालांकि दोपहर बाद कुछ देर के लिए रिमझिम हुई लेकिन मेले में पहुंचने वाले अधिकतर लोगों की मंशा लबालब झीलों को देखने की रहती है। अमूमन गत करीब 10 वर्षों से हर बार हरियाली अमावस्या पर झीलें खाली ही रहती हैं।
सहेलियों की बाड़ी क्षेत्र में दुकानें, स्टॉलें गत रात्रि से ही लग गई थी। आदिवासी बालाएं एक जैसी ड्रेस में सज-धजकर मानों किसी फैशन परेड में हिस्सा लेने आई जैसी प्रतीत हो रही थीं। फतहसागर पर हुजूम उमड़ पड़ा मानों आज शहर का हर मार्ग इसी ओर आ रहा था। युवाओं ने मेले का भरपूर आनंद लिया। बच्चों की पुंपाडि़यों का स्थायन चाइनीज खिलौनों ने ले लिया।
युवतियां सौन्दर्य प्रसाधन के स्टॉ़लों पर खरीदारी करने में लगी रहीं। मिठाई की दुकानों पर खास तौर से मालपुओं की बिक्री हुई। कई जगह घरों में ही मिठाई बनाकर परिजनों को निमंत्रित भी किया गया। हाथ पर नाम गुदवाने के लिए भी युवतियों और बालाओं की खासी भीड़ रही। जूस, आइसक्रीम, दिल्ली के पर्स और मुंबई की ज्वे लरी की दुकानों पर भी भीड़ रही। बुधवार को भी मेला आयोजन होगा लेकिन इस दिन सिर्फ महिलाओं के लिए ही प्रवेश होगा।
फतहनगर. मंगलवार को हरियाली अमावस्या पर क्षेत्र के पिकनिक स्पॉट बच्चों,युवाओं आदि से आबाद रहे। नगर के नेहरू बाल उद्यान, राजमाता विजयाराजे सिंधिया पार्क,इंदिरा कॉलोनी स्थित पार्क,पावनधाम पार्क,सिद्ध हनुमान मंदिर स्थित मालू वाटिका,सनवाड़ का आचार्य निरंजन नाथ बाल उद्यान,धुणी बावजी, आवरीमाता आदि स्थलों पर सुबह से ही चहल पहल शुरू हो गई। बच्चों ने इन स्पॉटों पर खेलकूद एवं अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों का लुत्फ लिया। भोजन,चाट पकौड़ी एवं मालपुओं का स्वाद लिया। शाम को पुन: अपने घरों को लौट आए। नगर से कई लोग मित्रों एवं परिवार के साथ सॉंवलियाजी, आवरीमाता, जोगणिया माता, कुंभलगढ़, सीतामाता अभयारण्य समेत अन्य दर्शनीय स्थलों को गए। बाजार में इससे सन्नाटा पसरा रहा।