फतहनगर. श्रावण मास के पावन पर्व पर मुद्गल वाटिका में श्रीराम कथा में शनिवार को स्वामी दिलीपदास त्यागी ने प्रभु श्री राम की बाल लीलाओं का जीवंत वर्णन किया। कथा के बीच-बीच प्रसंगों से जुड़े भकितमयी भजनों की स्वर लहरियां भी बिखरी।
भजनों के दौरान भकत अपने आप को झूमने से नहीं रोक पाए। कथा में स्वामी ने कहा कि प्रभुश्री ने धरती पर अवतार लेकर मनुष्य जीवन में किए जाने वाले सद्कर्म करते हुए मानव को मर्यादा में रहने की सीख दी। उन्होंने कहा कि श्री रामचरित मानस ही सच्चे मानव का निर्माण कर सकती है, इसलिए श्री राम भगवान ने इन्सान बनकर यहां आकर लीला की। बाल लीला की कथा करते हुए त्यागी बाबा ने कहा कि राम का जन्म विप्र,धेनु और सुर संत हित हेतु हुआ। दशरथ ने जब अपने पुत्र का दर्शन किया तो ब्रहमानंद के समान सुख मिलने लगा। लेकिन महाराज ने विचार किया जिसके लिए बड़े-बड़े मुनि ध्यान समाधि लगाते हैं वो हमारे यहां पुत्र रूप में आया है। अब तो इसके साथ रहने में ही जीवन का सुख है कयोंकि प्रभु के साथ हजारी जीवन पर्यन्त कथा गायी जा जाएगी। हनुमान ने राम का सुमिरन करके सदा सदा के लिए राम को अपना बना लिया था। हनुमान जानते थे कि जिसके सम्मुख सदैव प्रभु राम रहते हैं दुनिया में उसी की कीमत होती है। कथा में बाल लीला पर चर्चा करते हुए स्वामी ने कहा कि दशरथ और कौशल्या कितने भाग्यशाली है कि पूरे जगत को नचाने वाला,अपने इशारों पर चलाने वाला कौशल्या की अंगुली पकड़ कर चलना सीखता है। जगत पिता होकर परमात्मा पुत्र बना तो पुत्र धर्म का पालन किया। कथा के अंत में आरती व प्रसाद वितरण हुआ। कथा सुनने के लिए नगर से बड़ी संख्या में महिलाएं एवं पुरूष आ रहे हैं।