स्वतंत्रता…। इसके मायने सिर्फ वह समझ सकता है जिसने कभी गुलामी झेली हो या कभी किसी का गुलाम रहना पड़ा हो। पेट भरे व्यक्ति को रोटी के बारे में कितना ही बता दें, उसके समझ में भूख कभी नहीं आ सकती। ठीक वैसी ही स्थिति हमारी हो चुकी है कि आजाद भारत में जन्म लेने के बाद हमें गुलामी के हालात का अंदाजा नहीं, शायद इसलिए आजादी की महत्ता हमें मालूम नहीं। विश्वविख्यात सर्च इंजन गूगल ने भी अपना डूडल आज के दिन हिंदुस्तान को समर्पित किया है।
आजादी की महत्ता को हमने पता नहीं समझा या नहीं लेकिन सूचना एवं प्रौद्योगिकी के इस युग में प्रसिद्ध सर्च इंजन गूगल ने भी अपना डूडल हिंदुस्तान की स्वतंत्रता को समर्पित किया है। पुरातन काल से चली आ रही बात यहां भी सही सिद्ध होती है कि हर सिक्के के दो पहलू होते हैं। सही के साथ गलत तो प्रगति के साथ दुर्गति और विकास के साथ विनाश भी है। आज हमारे पास गर्व करने को भी बहुत सारी चीजें हैं कि देश-विदेश में बैठे लोगों के बीच की दूरियों को खत्मे कर दिया है लेकिन यहां बैठे आपस के लोगों से मन की दूरियां बढ़ा दीं। कहने को आधुनिक मीडिया फेसबुक पर हमने पांच हजार दोस्त बना लिए लेकिन घर-दोस्तों-रिश्तेदारों से दूरियां बन गईं।
जाने को हम चांद और मंगल ग्रह तक पहुंच गए लेकिन पड़ोसी के यहां सुख-दुख में नहीं जाते। फिर गर्व किस बात पर कि हमने इतना विकास कर लिया। इस पर या हमने अपनों से दूरियां बना ली.. इस पर। आजकल की स्वतंत्रता दिवस के मायने सिर्फ यही रह गए हैं शायद कि 14 अगस्त से मोबाइल में व्हाट्सअप, फेसबुक में अपनी प्रोफाइल फोटो, ई-मेल संदेश से तिरंगे की तस्वीर भेजकर स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं देना। 15 अगस्त को छुट्टी मनाना, पिकनिक जाना और 16 अगस्त को सब कुछ भूलकर वापस अपने रूटीन काम में लग जाना।
कभी किसी सरकारी विभाग में भ्रष्टाचार को रोकने में अपना कदम बढ़ाना या किसी गलत बात का विरोध करते हुए शायद किसी को स्वतंत्रता की खुशी महसूस नहीं हुई क्योंकि हर कोई अपना काम जल्दी करवाना चाहता है, चाहे भले ही उसके लिए उसे खुद भ्रष्टाचार को बढ़ावा देना पड़े। जब तक इस तरह की गलत नीतियों, भ्रष्टाचार को बढ़ावा हम खुद ही देते रहेंगे तो कैसे मान लें कि हम स्वतंत्र हो चुके हैं?