विद्यापीठ के ज्योतिष एवं वास्तु शास्त्र विभाग में सेमीनार
Udaipur. आजकल भवन निर्माण केवल प्राकृतिक आपदाओं से बचने का साधन मात्र नहीं बल्कि आनन्द, शान्ति, सुख सुविधाओं और शारीरिक तथा मानसिक कष्ट से मुक्ति का साधन भी माना जाता है परन्तु यह तभी सम्भव है जब हमारा घर या व्यवसाय का स्थान प्रकृति के अनुरूप हों।
यह कहना है ज्योतिषविद् डॉ. अलखनन्दा शर्मा का। वे सोमवार को राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के श्रमजीवी महावि़द्यालय के ज्योतिष एवं वास्तु शास्त्र विभाग में वास्तुशास्त्र में दिशाओं और कोणों का विज्ञान विषय एक दिवसीय सेमीनार में बतौर मुख्य अतिथि के रूप में बोल रही थीं। अध्यक्षता करते हुए पण्डित हरीशचन्द्र शर्मा ने कहा कि आज किसी भी भवन निर्माण में वास्तु शास्त्री की पहली भूमिका होती है क्योंकि लोगों में अपने घर या कार्यालय को वास्तु के अनुसार बनाने की सोच बढ़ रही है।
यही वजह है कि पिछले करीब एक दशक से वास्तुशास्त्री की मांग में तेजी से इजाफा हुआ है।
विशिष्ट अतिथि पंण्डित शक्ति कुमार शर्मा ने कहा कि इमारत, फार्म हाउस, मन्दिर, मल्टीप्लेक्स मॉल, छोटा, बडा़ घर एवं दुकान कुछ भी हो उसका वास्तु के अनुसार बना होना जरूरी है क्योकि आजकल सभी सुख, शान्ति और शारीरिक कष्टों में छुटकारा चाहते हैं। इस सबके लिए किस दिशा या कौन से कोण में क्या होना चाहिए इस तरह के विचार की जरूरत पड़ती है। सेमीनार में 50 छात्र-छात्राओं ने भाग लिया। संचालन पण्डित रवि सुखवाल ने किया।