सुविवि के तत्वावधान में अंतरराष्ट्रीय सेमिनार 16 से
Udaipur. रोगवाहक एवं रोगजनित बीमारियां, उनकी स्थिति, नियंत्रण एवं उनकी रोकथाम जैसे कुछ मुद्दों को लेकर सुखाडि़या विश्वीविद्यालय एक अंतरराष्ट्रीयय सेमिनार का आयोजन कर रहा है। सेमिनार 16 से 18 सितंबर तक इंदर रेजीडेंसी में होगी। इसमें न सिर्फ देश बल्कि विदेशों से भी वैज्ञानिक, रिसर्च स्कॉंलर्स आएंगे। इनके साथ ही यहां के स्थानीय गुणियों को भी चर्चा के लिए बिठाया जाएगा कि वे यहां किस तरह उपचार करते हैं?
विश्वज में रोगवाहक बीमारियों के बोझ को ध्यान में रखते हुए राजस्थान खासकर आदिवासी बहुल क्षेत्र में पहली संगोष्ठीब सुविवि ने नेशनल अकादमी ऑफ वेक्टर बोर्न डिजिजेज के सहयोग से करवाने का जिम्मा लिया है। सुविवि की डॉ. आरती प्रसाद ने आज यहां पत्रकारों से बातचीत में बताया कि मलेरिया सहित विश्वि की प्रमुख छह आर्थिक बोझ वाली बीमारियां जैसे डायरिया, एचआईवी/एड्स, टीबी, मिजल्स, निमोनिया तथा हेपेटाईटिस-बी से करीब 85 प्रतिशत जनसंख्या प्रभावित होती हैं।
एक अनुमान के मुताबिक 2020 तक मलेरिया रोग विश्वे के 107 देशों की 36 प्रतिशत जनसंख्या को प्रभावित कर लेगा। दक्षिण-पूर्व एशिया में रिपोर्ट 2.5 मिलियन मामलों में से 70 प्रतिशत मामले सिर्फ भारत से रिकार्ड किये गये हैं। वर्तमान में 80.5 प्रतिशत जनता ऐसे क्षेत्रों में रहती है जहां कभी भी मलेरिया हो सकता है।
संगोष्ठीज में अंतरराष्ट्रीेय व राष्ट्रीमय स्तर के विभिन्न वैज्ञानिक, शिक्षाविद्, गुणी तथा अनेक कम्पनी वाले सभी एक मंच पर एकत्र होकर अपने ज्ञान को साझा करेंगे ताकि निकट भविष्ये में नई दवाईयां, नये उत्पाद, पॉलिसी बनाकर बीमारियों के उन्मूलन को सहयोग देंगे। संगोष्ठीा में प्रमुख वक्ता के रूप में भारत सरकार के स्वास्थ्य सचिव डॉ. वी.एम. काटोच होंगे। संगोष्ठीा में चार नियोजित व्याख्यान होंगे। एसईएआरओ मलेरिया के परामर्शदाता डॉ. लियोनार्ड ऑटेगा, डॉ. ए. सी. धारीवाल, डॉ. आषुतोश विश्वा.स तथा डॉ. नीना वालेचा देंगे।
इसके अतिरिक्त अंतरराष्ट्री य ख्याति प्रधान वैज्ञानिक जैसे प्रो. आर. एस. यादव, डॉ. जेन काल्टन, डॉ. विलियम जेनी, डॉ. टीसा बी. नोक्स आदि शोध कार्य को प्रस्तुत करेंगे। इनके अतिरिक्त 300 से ज्यादा वैज्ञानिक व युवा शोधकर्ता अपने शोध पत्रों का मौखिक व पोस्टर के माध्यम से प्रदर्शित करेंगे। संगोष्ठीश में प्रस्तुत शोध पत्रों का विशयों में मुख्य मलेरिया परजीवी के लिये नई दवाईयों के निर्माण, जिनोमिक्स, समुदाय के सहयोग, रोगों के स्थानान्तरण, वातावरण व जलवायु के परिवर्तन का प्रभाव, राजस्थान में रोगवाहक बीमारियों जैसे अनेक महत्वपूर्ण विषयों पर मंथन होगा।
क्योंप फैल रही है ये बीमारियां
डॉ. प्रसाद ने बताया कि इन्दिरा गांधी, गंग नहर आदि के राजस्थान में आने से राजस्थान में रोगवाहक जनित बीमारियों की संख्या में अत्यधिक वृद्धि हुई है। मजदूरों के गमन व परागमन के कारण भी इनकी संख्या में अत्यधिक वृद्धि व फैलाव हुआ है। राजस्थान के आदिवासी क्षेत्र में हालात और भी गंभीर है इसके मुख्य दो कारण है: एक तो वहां के लोगों में बीमारियों के प्रति ज्ञान व जागरूकता न होना तथा इनके गांवों की बसावट ढाणी प्रकार से होने के कारण घर दूर-दूर होते है। अस्पताल व दवाईयों की सुविधा भी बराबर नहीं है।
नहरों के आने से पूर्व जहां राजस्थान में मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया इतनी गंभीर बीमारी नहीं थी लेकिन अब दिमागी मलेरिया, डेंगू चिकनगुनिया रोगियों की संख्या में प्रतिवर्ष वृद्धि हो रही है। इन बीमारियों से संकटग्रस्त देशों मे औद्योगिक संचालन आर्थिक रूप से अत्यधिक प्रभावित हो रहे हैं। अतः इस खतरे को दूर करने के लिये एक सम्मिलित वाहक नियंत्रण कार्यक्रम चलाने की आवष्यकता है, जो कि इनके खतरे का मूल्यांकन करे, नियंत्रण के उपाय निकाले और इनके नियमन को सम्मिलित करे, और इस संदर्भ में यह संगोष्ठी, आधार रूप से लेकर क्रियान्वयन स्तर तक वाहक व वाहक जनित बीमारियों को समर्पित है।