Udaipur. सोसायटी फॉर माइक्रोवाइटा रिसर्च एंड इंटीग्रेटेड मेडिसिन (स्मरिम) द्वारा प्रभात संगीत दिवस की 31 वीं वर्षगांठ पर कार्यक्रम हुआ। मुख्य अतिथि आचार्य ललित कृष्णा नंद अवधूत ने कहा कि साधक के जीवन में प्रभात संगीत का महत्वखपूर्ण योगदान है क्योंकि यह साधना को उच्च स्तर तक पहुंचाने में सहायता करता है।
इससे पहले आचार्य ने प्रभात संगीत के रचयिता प्रभात रंजन सरकार की छवि पर माल्यार्पण किया। स्मरिम के अध्यक्ष डॉ. एस. के. वर्मा ने बताया कि 1982 में बिहार में श्री सरकार ने प्रभात संगीत की रचना की थी। अपने महाप्रयाण दिवस 21 अक्टूबर 1990 तक उन्होंने करीब 5018 गीत दिए जो विभिन्न भाषाओं और राग-रागिनियों पर आधारित हैं। उन्होंने बताया कि ये भावपूर्ण प्रभात संगीत गंधर्व माइक्रोवाइटा को आकर्षित कर एक सुदृढ़ वातावरण तैयार करते हैं जिससे आध्यात्मिक उत्तरोत्तर प्रगति होती है। इन सभी गीतों में शिव-कृष्ण स्तुति, जीवन के प्रत्येक पड़ाव जन्म–मरण, विवाह, पौधरोपण, नववर्ष, बालमन, होली, दिवाली, विरह, हास्य सहित सभी का समावेश है।
संचालन करते हुए स्मरिम सचिव डॉ. वर्तिका जैन ने बताया कि इस अवसर पर प्रभात संगीत गायन के साथ उन पर आधारित अन्त्याक्षरी सिद्ध मंत्र का भी कीर्तन किया गया।