गणपति प्रतिमाओं का विसर्जन
Udaipur. गणपति बप्पा को अगले वर्ष बुलाने के लिए अनंत चतुर्दशी पर आज सरोवर, तालाब, पोखरों में विसर्जित कर दिया गया। उधर झीलप्रेमियों की चिंता बरकरार रही कि झीलों में प्रतिमाओं का विसर्जन नहीं किया जाए। जागरूक संगठनों ने प्रतिमाओं को विसर्जन के बजाय किनारे पर ही प्रतीक मात्र के रूप में विसर्जन किया वहीं शाम को कई संगठनों की ओर से प्रतिमा का विसर्जन किया गया। झीलप्रेमियों ने प्रशासनिक शिथिलता को भी इसका जिम्मेदार ठहराया।
शहर के अंदरुनी इलाकों में आज यातायात बिल्कुल थम सा गया। सूरजपोल से ही पुलिस जाब्ता तैनात कर दिया गया था। चौपहिया वाहनों का आवागमन निषिद्ध था वहीं दुपहिया वाहन चालक भी काफी परेशान हुए। किसी भी गली में नहीं निकल पाए। हर गली में गणपति विराजित थे जिन्हें ले जाने की तैयारियां चल रही थीं। दोपहर बाद तो बहुत मश्किलों का सामना करना पड़ा।
गुलाल अबीर उड़ाते युवाओं का जोश देखते ही बनता था। गणपति बप्पा मोरिया.. अगले बरस तू जल्दी आ के नारे और डीजे पर गूंजते धार्मिक भक्ति गीत.. यकायक हर किसी को आकर्षित कर रहे थे।
प्रशासनिक शिथिलता
झील सरक्षण समिति के अनिल मेहता व डॉ. तेज राजदान ने डॉ. मोहनसिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा आयोजित परिचर्चा में कहा कि ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देशों के अनुसार झीलों में किसी भी तरह का विसर्जन नियंत्रित हो, इसकी अनुपालना करवाना राज्य प्रदूषण नियंत्रण मण्डल की जिम्मेदारी है। मंडल को विसर्जन स्थल की जलीय गुणवत्ता का तुलनात्मक मापन कर आंकड़ों को जनता के समक्ष रखना चाहिए ताकि विसर्जन करनेवाले समूह यह समझ सकें कि उनका यह कार्य कितना खतरनाक तथा दुष्प्रभावी है। सतत रूप से झीलों में मूर्ति, ताजियों आदि का विसर्जन झीलों के पानी को गंदा कर रहा है जिसका सीधा असर आमजन पर पड़ रहा है।