गुणानुवाद सभा के साथ तीन दिवसीय जन्म जयन्ती समारोह
Udaipur. राष्ट्रसंत गणेश मुनि ने कहा कि जीवन निर्माण के तीन सुखों सम्यवक ज्ञान, सम्यधक दर्शन व सम्य क चारित्र के जरिये मुक्ति का मार्ग प्रशस्त होता है । सम्याक कृत्य की साधना ही मुक्ति की ओर ले जाती है। ज्ञान व ध्यान के साकार रूप आचार्य सम्राट डॅा. शिवमुनि मंझे हुए साधक के रूप में अपने ज्ञान एंव क्रिया के जरिये संघ व समाज को अपूर्व अध्यात्म की रोशनी प्रदान कर रहे है।
वे रविवार को श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ द्वारा आचार्य सम्राट डॉ. शिवमुनि की 72 वीं तथा महासाध्वी कुसुमवती म.सा. की 89 वीं जयन्ती पर पंचायती नोहरे में गुणानुवाद सभा को संबोधित कर रहे थे। सभा में अनेक साधु-सन्तों का समागम हुआ। उन्होंने कहा कि आचार्यश्री का ज्ञान, उनका ध्यान जन-जन, संघ व समाज के लिए नई उर्जा, नया आलोक प्रदान रह रहा है। ऐसे दिव्य पुरूष के स्वास्थ्य के प्रति सभी मंगलकामना करते है।
उप प्रवर्तक जिनेन्द्र मुनि मसा. ने कहा कि आचार्य डॅा. शिवमुनि ज्ञान एंव ध्यान के रूप में अपने शिवत्व को प्रकट करने में लगे हुए है। शिव के अन्दर ऊं समाया हुआ है। जीवन में ई की मात्रा हटा दी जाए तो शव रह जाता है। जिसका कोई महत्व एंव उपयोग नहीं रहता है लेकिन आचार्य डॅा. शिवमुनि दैविक शास्त्र से सम्पन्न साधकरत्न है जो 28 वर्षो से एकान्तर वर्षीतप करते हुए शिवत्व को प्राप्त करने की ओर अग्रसर है। साध्वी डॅा. दिव्यप्रभा ने कहा कि महासाध्वी कुसुमवती का जीवन हम सभी के लिए शिक्षाप्रद एंव प्रेरणादायी रहा है। इसी के परिणाम स्वरूप उनकी सभी शिक्षाएं देशभर में धर्मसागर की ओर प्रवृत्त हो रही है।उन्होनें कहा कि कुसुमवती ने वेद-विज्ञान को जिया, वे आदर्श, विरल विभूति थी। उनका जीवन व ह्दय बोलता था। उन्होंने रोग को भी समता भाव से देखा। साध्वी डॅा. दिव्यप्रभा ने आचार्य डॉ. शिवमुनि के बारे मे कहा कि वे जहां जिन शासन की शान है वहीं उनका जीवन, शान्त, उज्जवल, गंभीर, समता, सहजता व विनयशीलता की मिसाल है।
साध्वी अनुपमा ने कहा कि तप, त्याग, संयम, साधना नियमों से परिपूर्ण होने वाला जीवन महान कहलाता है। आचार्य व महासाध्वी कुसुमवती का जीवन प्रारम्भ से ही प्रेरणादायी रहा है। उन्होंने आचार्य शिवमुनि के सन्दर्भ में कहा कि वे मेरे जीवन के प्रेरणा स्त्रोत रहे हैं। साध्वी सुप्रतिभा ने आचार्य शिवमुनि के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उनका कृतित्व एंव व्यक्तित्व दोनों समान है। वे प्रारम्भ से ही धर्म की ओर अग्रसर रहे है। इस अवसर पर संघ अध्यक्ष वीरेन्द्र डांगी, महामंत्री हिम्मत बडाला, प्रमुख मार्गदर्शक ओंकारसिंह सिरोया, जिला प्रमुख मधु मेहता, महापौर रजनी डांगी, शिक्षक नेता भंवर सेठ, दिलीप सुराणा, आशा कोठारी ने भी विचार व्यक्त किए। डॉ. दिव्यप्रभा की प्रेरणा से दिव्यकुसुम मंगल मैत्री संगठन का गठन किया गया। जिसके लिए आशा कोठारी व अनुराधा जैन को संचालक नियुक्त किया गया। इस अवसर पर पंजाब, दिल्ली, राजस्थान व उदयपुर जिले के विभिन्न क्षेत्रों से श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित थे।