फतहनगर. दु:ख में घबराना नहीं चाहिए तथा सुख में फूलना नहीं चाहिए। सरलता ही मोक्ष का पावन मार्ग है। जहां कुटिलता के भाव होते हैं वहां पतन का रास्ता खुलता है। परमात्मा का उपदेश है कि हमारे कर्मों में शुद्ध भावों का आचरण होना चाहिए। ये विचार मेवाड़ प्रवर्तक मदन मुनि ने मावली के घासा में धर्मसभा में व्यक्त। किए।
मुनि ने कहा कि जहां राग-द्वेष है वहां द्वन्द्व है। सद् ज्ञान के बिना मोक्ष नहीं होता। कषायों का शमन करना हो तो सद्ज्ञान का दीपक ह्दय में जलाना होगा। उन्होने कहा कि जीवन एक अनमोल हीरा है। शुभ व अशुभ का ज्ञान होना ही सम्यक् ज्ञान है। सम्यक ज्ञान आत्मा का तीसरा नेत्र है। जनम मरण से छुटकारा पाना चाहते हो तो सद्भावना के साथ सद्आचरण ही निर्वाण का पथ है। डॉ. सुभाष मुनि ने कहा कि दया के बिना मनुष्य का जीवन रेगिस्तान की तरह है। जहां करूणा है वहां समरसता, समन्वय और सद्विचार जीवन को सद्गति की ओर ले जाते हैं। उप प्रवर्तक प्रदीप मुनि ने कहा कि ज्ञान से आत्म स्वरूप की उपलब्धि होती है। रविन्द्र मुनि ने कहा कि सद्भावों से जीवन का सृजन होता है। सभा में श्रीसंघ अध्यक्ष माधवलाल बड़ालमिया, चातुर्मास व्यवस्था समिति अध्यक्ष लक्ष्मीलाल डांगी, मंत्री समरथलाल बड़ालमिया तथा अन्य ने बाहर से आए श्रावक-श्राविकाओं का स्वागत एवं आभार व्यक्त किया।