फतहनगर. सत्य बोलो और प्रिय बोलो, ऐसा सत्य भी मत बालो जो अप्रिय हो। हर वचन का हमारे मन में संस्कार बैठता है। यदि हम प्रिय बोलेंगे तो हमारे मन में सुसंस्कार बैठेंगे और यदि हम अप्रिय बोलेंगे तो हमारे मन में कुसंस्कार बैठेंगे।
ये विचार मेवाड़ प्रवर्तक मदन मुनि ने चातुर्मास के तहत प्रवचनमाला में व्यक्तम किए। उन्होंने महावीर भवन में धर्मसभा के दौरान कहा कि सत्य और प्रिय का साथ है। सत्य बोलना तो जरूरी है ही लेकिन इसके साथ प्रिय भी बोलना चाहिए। इसी से व्यकित का मन जीता जा सकता है। सत्य से मन को शांति मिलती है जबकि असत्य मन को कचोटता रहता है। सत्य की हमेशा जय हुई है जबकि असत्य की देर से ही सही पराजय हुई है। डॉ. सुभाष मुनि, रविन्द्र मुनि एवं प्रदीप मुनि ने भी प्रवचन दिए। सभा में बड़ी संख्या में आसपास के गांवों से जैन समाज के लोग एवं बाहर से संतों के दर्शनलाभ लेने के लिए आए लोग मौजूद थे। घासा श्री संघ के तत्वावधान में चातुर्मास के तहत इन दिनों मदनमुनि एवं अन्य संत महावीर भवन में विराजित हैं। रोजाना संतों के दर्शनार्थ एवं आशीर्वाद लेने के लिए देश के दूरदराज के शहरों एवं गांवों से लोग आ रहे हैं।