आचार्य तुलसी जन्म शताब्दी समारोह में व्याख्यानमाला
udaipur. आचार्य तुलसी ने पंथ में बंधे बिना मानव कल्याण की बात सोचकर कही। इसलिए वे महापुरुष बने। आचार्य तुलसी 20वीं शताब्दी के युगपुरुष बने। उन्होंने साहित्य, चिंतन एवं अपनी दृष्टि से युग को प्रभावित किया।
ये विचार विद्वान प्रो. प्रेम सुमन जैन ने रविवार को श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा एवं सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आचार्य तुलसी जन्म शताब्दी समारोह के तहत तृतीय व्याख्यानमाला में मुख्य वक्ता के रूप में व्यक्त किए।
अणुव्रत चौक स्थित तेरापंथ भवन में हुए कार्यक्रम में प्रो. जैन ने अहिंसा को समझने से पहले हिंसा के कारणों चिंतन, भावनाओं, क्रोध, मान, माया, लोभ को समझने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि भावना से बुरा सोचना भी हिंसा है। व्यक्तिगत तौर पर हम तभी अहिंसक हो सकते हैं जब हम प्रामाणिक हों। आर्थिक रुप से हम तब अहिंसक हो सकते हैं जब हम साधनों के उपयोग का सीमाकरण करें। सामाजिक दृष्टि से अहिंसक बनने के लिए संविभाग एवं विसर्जन को अपनाना होगा। आचार्य तुलसी ने अपनी विरासत पर पूरा ध्यान दिया। आचार्य महाप्रज्ञ के बाद आचार्य महाश्रमण, साधु-साध्वी, श्रमण-समणी सक्रियता से उनके कार्यों को आगे बढ़ा रहे हैं।
शासन श्री मुनि रवीन्द्र कुमार ने कहा कि आचार्य तुलसी के चिंतन में तप, त्याग एवं साधना बोलती थी। उन्होंने धर्म को सम्प्रदायों, पंथों एवं ग्रंथों से बाहर निकालने का प्रयास किया। उन्होंने जो भी कार्य किया, उसका केन्द्र बिन्दू मानव कल्याण रहा। तपोमूर्ति मुनि श्री पृथ्वीराज ने कहा कि आचार्य तुलसी का चिंतन हमेशा सकारात्मक रहा। समाज के विकास के लिए उन्होंने नए मोड़ का प्रवर्तन किया। उन्होंने कुरीतियों पर जमकर प्रहार किया। आचार्य तुलसी का अनुशासन बेजोड़ था। आचार्य तुलसी की प्रबल पुण्याई, पुरुषार्थ, गुरु के प्रति समर्पण उनको महापुरुष बनाने में सहायक रहा।
इससे पूर्व सभाध्यक्ष राजकुमार फत्तावत ने पधारे हुए अतिथियों एवं आगंतुकों का स्वागत करते हुए आचार्य तुलसी जन्म शताब्दी वर्ष के आगामी कार्यक्रमों की जानकारी दी। जन्म शताब्दी वर्ष में आयोजित तुलसी को जानो-पहचानो प्रतियोगिता के प्रतिभागियों एवं विजेताओं को पारितोषिक वितरण भी किया गया। स्पर्धा में प्रथम स्थान पर आई श्रीमती पुष्पा कोठारी को 3100 रुपए नकद एवं स्मृति चिह्न, द्वितीय कविता बड़ाला को 2100 रुपए एवं स्मृति चिह्न तथा तृतीय रही विजयलक्ष्मी मुंशी को 1100 रुपए नकद एवं स्मृति चिह्न सभाध्यक्ष राजकुमार फत्तावत, डॉ. प्रेम सुमन जैन, पारसमल अग्रवाल एवं डॉ. देव कोठारी ने प्रदान किए।
अतिथियों का स्वागत सुबोध दुग्गड़, छगनलाल बोहरा, सुभाष सोनी, शशि चह्वाण, मंजू चौधरी, दीपक सिंघवी, शांतिलाल सिंघवी ने उपरणा ओढ़ा साहित्य भेंटकर किया। स्वागत गीत आदिनाथ नगर ज्ञानशाला के बच्चों ने प्रस्तुत किया। मंगलाचरण शशि चह्वाण, पायल चपलोत एवं दीपा इंटोदिया ने किया। आभार सुविवि के जैन एवं प्राकृत विभाग के अध्यक्ष जिनेन्द्र जैन ने जताया। संचालन सभा मंत्री अर्जुन खोखावत ने किया।