पीडियाट्रिक न्यूरोसर्जरी पर सेमिनार आज से
देश के 10 प्रतिशत बड़े सिर वाले बाल रोगी सिर्फ दक्षिण राजस्थान में
Udaipur. रविन्द्रनाथ टैगोर मेडिकल कॉलेज के न्यूरोसर्जरी विभाग की ओर से 24 से 26 अक्टूबर तक तीन दिवसीय इण्डियन सोसायटी फॉर पिडियाट्रिक न्यूरोसर्जरी की 24 वीं राष्ट्रीय सेमीनार ‘न्यूरोपिडिक्शन-2013’ का आयोजन गुरुवार से रमाडा रिसोर्ट में होगी।
आयोजन सचिव डॅा. तरुण गुप्ता ने प्रेस वार्ता में बताया कि पिछले कुछ वर्षों में बाल न्यूरो सर्जरी में कुछ नये अनुसंधान हुए है जिस कारण बच्चों में पाई जाने वाली कुछ बीमारियों में सर्जरी संभव हो पाई है जबकि अब तक उन बीमारियों का दवाओं के जरिये ही इलाज किया जाता था। वर्तमान में देश के 10 प्रतिशत बड़े सिर वाले 12 वर्ष तक के बाल रोगी सिर्फ दक्षिण राजस्थान में पाये जाते हैं। कुछ वर्ष पूर्व यह आंकड़ा कुछ अधिक था लेकिन इस बीमारी में सर्जरी संभव होने से इस आंकड़े में कुछ कमी आई है। राज्य में यह आंकड़ा 15 प्रतिशत है। इसके अलावा इस क्षेत्र में बच्चों की कमर में गांठ के रोगी भी बहुतायत मात्रा में पाए जाते हैं। इसमें भी अब सर्जरी संभव हो पाई है।
उन्होंने बताया कि सेमीनार में बच्चों में मिर्गी का ऑपरेशन के जरिये इलाज, बच्चों में सिर की चोट, बच्चों के सिर में ट्यूमर,बच्चों में कमर की गांठ का इलाज तथा बच्चों में सिर का बड़ा होना आदि बीमारियों के इलाज पर गहन मंथन किया जाएगा। उन्होंने बताया कि अधिकांश बच्चों में मिर्गी की बीमारी पाई जाती है जिनकी पूर्व में दवाइयों के जरिये इलाज किया जाता था लेकिन अब इसमें सर्जरी संभव हो पाई है। इसमें करीब 5 वर्ष पूर्व ही सर्जरी शुरू हुई। विभिन्न कारणों से बच्चों के सिर में पानी भर जाने से उनका सिर बड़ा हो जाता है जिन्हें वर्तमान में दूरबीन से इलाज कर सिर को छोटा किया जाता है। बच्चों में सिर के बड़ा होने के मामले 10 प्रतिशत और उनमें से भी 15 प्रतिशत रोगी सिर्फ राजस्थान में पाये जाते है। उन्होंने बताया कि दक्षिण राजस्थान में इस प्रकार के रोगियों की संख्या अधिक पाए जाने के पीछे मूल कारण गर्भवती महिलाओं की प्रोपर देखरेख नहीं होना है।
उन्होंने बताया कि जब से राज्य सरकार की जननी सुरक्षा योजना प्रारम्भ हुई तब से लेकर अब तक इस प्रकार के रोगियों की संख्या में गिरावट देखी जा रही है। पिछले 5 वर्षों में इन आंकड़ों में 4-5 प्रतिशत की कमी आयी है क्योंकि अब उदयपुर में इस प्रकार की सर्जरी संभव हो पाई है। 1994 में उदयपुर के महाराणा भूपाल सार्वजनिक चिकित्सालय में डॅा. तरूण गुप्ता द्वारा न्यूरोसर्जरी की स्थापना की गई थी। वर्तमान में अब रविन्द्रनाथ टैगोर मेडिकल कॉलेज में एम.सीएच कोर्स भी प्रारम्भ हुआ है जो इस यूनिट के मेडीकल छात्रों के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है। इस मेडीकल कॉलेज में सरफेस माइक्रोस्कोप,ट्यूमर गलाने की मशीन, दूरबीन द्वारा मस्तिष्क संबंधी विभिन्न बीमारियों का अत्याधुनिक इलाज अब यहां उपलब्ध है।
देश-विदेश से आएंगे चिकित्सक : डॅा. गुप्ता ने बताया कि इस सेमीनार में ताइवान के वल्र्ड फेडरेशन ऑफ न्यूरो सर्जरी में बच्चों की यूनिट के हेड डॅा. टी.टी.वांग, दक्षिणी अफ्रीका के डॅा. फिगन, लंदन के डॅा. हेकिन्स, अमेरिका के डॅा. संजीव भटिया तथा इटली के डॅा. अम्बोरेनी सहित देश के बड़े न्यूरो सर्जन हिन्दुजा हास्पिटल मुबंई के डॅा. बी. के. मिश्रा, एम्स के न्यूरो विभाग के हेड डॅा. बी. एस. शर्मा, बोम्बे हॉस्पीटल के हेड डॅा. देव पुजारी, चेन्नई के डॅा.चिदम्बरम एम्स भुवनेश्वर के डॅा. ए. के. महापात्रा भाग लेकर अपने शोध प्रस्तुत करेंगे। इसके अलावा देश के 150 प्रतिनिधि भाग लेंगे जिसमें से 10 विदेशी होंगे।