Udaipur. रविन्द्रनाथ टैगोर मेडिकल कॉलेज के न्यूरोसर्जरी विभाग की मेजबानी में चल रही तीन दिवसीय इण्डियन सोसायटी फॉर पिडियाट्रिक न्यूरोसर्जरी की 24 वीं राष्ट्रीय सेमीनार ‘न्यूरोपिडिक्शन-2013’ के दूसरे दिन सेमिनार में भाग ले रहे देश- विदेश के विख्यात न्यूरो सर्जन ने बच्चों में ब्रेन ट्यूमर बीमारी पर प्रकाश डाला तथा ब्रेन ट्यूमर के उपचार सम्बन्धित नई तकनीकों का आदान-प्रदान भी किया।
पहले सत्र में मूलत: उदयपुर तथा हाल निजाम इन्स्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, हैदराबाद के न्यूरो सर्जन प्रमुख एवं के डॉ. अनिरूद्ध के. पुरोहित ने ब्रेन ट्यूमर के बारे में बताया कि महिलाओं में प्रसव से पूर्व ,प्रसव के दौरान या प्रसव के बाद में महिलाओं में कुपोषण की वजह से पीलिया होने से जन्म लेने वाले बच्चे में मानसिक आघात से शारीरिक विकलांगता उपन्न होती हैं जिसे सेरेब्रल पाल्सी कहा जाता हैं। उन्होने बताया कि इस दौरान बच्चे में मानसिक आघात का मुख्य कारण महिलाओं द्वारा धूम्रपान, शराब सेवन एवं पोषक तत्वों की कमी होना है जिससे बच्चों में यह बीमारी होती है। उन्होंने बताया कि देश में 12 प्रतिशत महिलाएँ ड्रग्स, शराब, सिगरेट का सेवन करती हैं जिसका दुष्प्रभाव बच्चों पर पड़ता हैं।
सेमीनार में बच्चों में मिर्गी का ऑपरेशन के जरिये इलाज, बच्चों में सिर की चोट, बच्चों के सिर में ट्यूमर, बच्चों में कमर की गांठ का ईलाज तथा बच्चों में सिर का बड़ा होना आदि बीमारियों के इलाज पर गहन मंथन के साथ उनके इलाज के लिए उपलब्ध ऑपरेशन, नई तकनीक एवं अपने अनुभवों को ताइवान के वल्र्ड फेडरेशन ऑफ न्यूरो सर्जरी में बच्चों की यूनिट के हेड डॅा. टी. टी. वांग ने जहां पीनिअल रिजन ट्यूमर्स पर मस्तिष्क के मध्य भाग के ट्यूमर पर अपनी बात कही। दक्षिणी अफ्रीका के डॅा. फिगन ने दक्षिण अफ्रिका में ट्यूमर्स की स्थिति बताते हुए कहा कि दक्षिण अफ्रीका में बड़ी साईज के ट्यूमर पाये गये हैं। लन्दन के डॅा. हेकिन्स, अमेरीका के डॅा. संजीव भाटिया, डॉ. देव पुजारी ने मस्तिष्क के बाहरी सतह पर विकसित हो रहे ट्यूमर के बारे में समस्याएं व समाधान पर विस्तृत चर्चा की। इसके साथ ही एम्स, नई दिल्ली की डॉ. चित्रा सरकार ने ट्यूमर मार्कर तथा ट्यूमर प्रोगनोसिस में काम आने वाली आधुनिक तकनीक की जानकारी देते हुए यह बताया कि ऑपरेशन से पूर्व यह यह पता लगा लिया जाता हैं कि ट्यूमर का इलाज कराना मरीज के लिए हित में या नहीं। वक्ताओं ने यह भी बताया कि यदि मरीज को मिर्गी है और एमआरआई में ट्यूमर निकलता हैं, तो ऑपरेशन द्वारा उसे ठीक किया जा सकता हैं।
आयोजन सचिव डॅा. तरूण गुप्ता ने बताया कि नर्सिंग ट्रेनिंग का सत्र आयोजित किया गया। दूसरे दिन के द्वितीय सत्र में बच्चों में स्ट्रोक, लगातार मिर्गी आने को रोकने तथा उस दौरान मरीज की केयर करने सम्बन्धी बिन्दुओं पर डॉ. ए. के. पुरोहित (हैदराबाद), डॉ. तरूण रालोत, आरएनटी मेडिकल कॉलेज एवं जीबीएच के डॉ. अतुलाभ वाजपेयी ने नर्सिंग ट्रेनर को मार्गदर्शन दिया।
उन्होंने बताया कि दक्षिण राजस्थान में इस प्रकार के रोगियों की संख्या अधिक पाये जाने के पीछे मूल कारण गर्भवती महिलाओं की सही देखभाल नहीं होना है। जब से राज्य सरकार की जननी सुरक्षा योजना प्रारम्भ हुई तब से लेकर अब तक इस प्रकार के रोगियों की संख्या में गिरावट देखी जा रही है। पिछले 5 वर्षो में इन आंकड़ों में 4-5 प्रतिशत की कमी आयी है क्योंकि अब उदयपुर में इस प्रकार की सर्जरी संभव हो पायी है।