Udaipur. दिल्ली के फोर्टिस हॉस्पीटल वरिष्ठ शोल्डर यानि कंधा रिप्लेसमेन्ट एवं कंधा रोग विशेषज्ञ डॅा. रमनकान्त अग्रवाल ने कहा कि कंधा उतरना एक आम बीमारी है जो 12-13 वर्ष की उम्र के बच्चे से प्रारम्भ होती है और वृद्धावस्था तक होती रहती है। इसका स्थायी एकमात्र समाधान सर्जरी ही है।
वे उदयपुर ओर्थोपेडिक सोसायटी द्वारा होटल टूलिप में आयोजित अपर लिम्ब ट्रोमा सिम्पोजियम को मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आमतौर पर 13-19 वर्ष तक के बच्चों व स्पोर्ट्समैन में यह बीमारी अधिक पाई जाती है। यदि बार-बार कंधा खिसकता है तो उसका सर्जरी ही एक मात्र उपाय है,जो अब दूरबीन से भी संभव है। फ्रोजन शोल्डर बीमारी होने से कंधा जाम हो जाता है लेकिन यह स्थिति क्योंकि उत्पन्न होती है इसका आज तक पता नहीं चल पाया है। कंधा जाम होने के 6 माह बाद फिजियोथैरेपी करवाने से करीब 4 वर्षो में यह बीमारी स्वत: ही ठीक हो जाती है। इस बीमारी में मात्र 4-5 प्रतिशत लोगों को ही सर्जरी की आवश्यकता पड़ती है।
उन्होंने बताया कि 40 वर्ष की उम्र के बाद विश्व के करीब 25 प्रतिशत लोगों में कंधों की मांसपेशियां फटने की बीमारी हो जाती है। घुटनों की आर्थराईटिस जैसी शोल्डर में भी आर्थराईटिस बीमारी पाई जाती है जिसका इलाज सर्जरी ही है। सबसे महत्वूपर्ण बात यह है कि घुटनों की तरह कंधों का भी रिप्लेसमेन्ट होता है। 4-5 वर्षों में शोल्डर की बीमारियों में वृद्धि देखी गई है। अब इसका भी इलाज संभव हो पाया है जिसमें शोल्डर रिप्लेसमेन्ट एक है। यह बीमारी मुख्यत: गृहणियों, पेन्टर, खिलाड़ी, क्रिकेटर, स्वीमर्स में अधिक पाई जाती है।
डॅा. अग्रवाल ने बताया कि इस बीमारी को ठीक करने में फिजियोथैरेपी का 80 प्रतिशत योगदान रहता है बशर्ते व चिकित्सक की सलाह एवं उसकी निगरानी में की जाए। इसके बावजूद घर पर फिजियोथैरेपी का निरनतर अभ्यास किया जाना चाहिए। 25-30 वर्ष की उम्र के बाद पुरुषों की तुलना में महिलाओं में कंधा खिसकने की बीमारी अधिक पाई जाती है।
उदयपुर ऑर्थोपेडिक सोसायटी के अध्यक्ष डॅा. बी. एल. कुमार व सचिव डॅा. अनुराग तलेसरा ने बताया कि डायबिटीज, थायराईड, हार्ट सर्जरी एवं पुरानी कलाई के फ्रेक्चर होने से आम जनता की तुलना में फ्रोजन शोल्डर के बीमारी के बढऩे की संभावना 20 प्रतिशत अधिक हो जाती है। डॉ. अनुराग तलेसरा ने जनता से आग्रह किया कि वे मुख्यत: मधुमेह बीमारी पर नियंत्रण रखें। सिम्पोजियम में डॉ. सी. के. आमेटा व डॅा. मनीष अग्रवाल ने भी कोहनी व कलाई की चोट पर अपने पत्र प्रस्तुत किये। कार्यक्रम में संभाग के 50 से अधिक अस्थि रोग चिकित्सक उपस्थित थे। इस अवसर पर कंधा,कोहनी एवं कलाई की हड्डियों के उपकरणों की प्रदर्शनी लगाई गई।
Sir mujhe bhi ye sholder khaskne ki problem he me kya karu meri age 22 he
Sir app muje bataye sirf ek bar khanda ka jod hata h uske bad nahi kay eske sarjari karna jarure h or eska elaz kay h abhi up down m pain hota h please
Sirji,
Mujhehi Kandhe Utarne ki Bemari Hai.Ab Tak mera Kandha 80 – 90 bar Nikal Chuka hai mujhe yah problem 16 age se ho ab tak meri Umar 27 age hai .kandhe utarane se bhari kam nahi hote.sir Koi Upay batao kandhe nikalnaa ak handicapped me ata hai kya plz reply dijiye.
Sir. Ji mera kandha bar bar utr jata eska estayi smadhan btaye
Dr. को मेरा नमस्कार मेरी समस्या भी ओरो जैसी है कंधा निकलने की।
और इसके बाद काफी दर्द होता है। कई दिनों तक।
और मेरा हाथ का पूरा चक्र अगर लू तो दर्द होता है जैसे कि गेंदबाजी करना या ball थ्रो करने में और किसी को मुक्का मारने में।
मुझे कृपा करके स्थाई इलाज बताये
और में इसके लिए फिजियोथेरेपी भी ले चुका हूँ लेकिन कोई फायदा नही मिला
Shoulder problum kanda Khan nahi kar raha hath upar ki taraf nahi jata
Sir mera name rahul hai m bikaner se hu.mera kandha 4 bar utar chuka hai…mere no.9309303451 plz call
Zir mera kana baar utrta kaya kay karu koi sal main ek se do baar
meri age 26y h mera kandha 13y ki umar se utar rha h ab tak mera kandha 8 se 9 bar uatar gya kam kharch m koi dr batao