प्रकाश पर्व दीपावली पर प्रत्यक भारतीय के घर में लक्ष्मी पूजन की परम्परा वर्षों से चली आ रही है। प्रत्येक हिन्दू परिवार में तो लक्ष्मी की अनिवार्यत: पूजा की जाती है। आज के भौतिकतावादी युग में धन की बढ़ी लालसा ने लक्ष्मी के प्रति आकर्षण और आस्था बढ़ाई है।
लोग जितने आस्थावान हुए हैं वहीं इससे ज्यादा उनकी आस बढ़ी है। उन्हें अब मां लक्ष्मी से मात्र सुखपूर्वक जीवन व्यतीत करने का आशीर्वाद नहीं चाहिए वरन आधुनिक सुख-सुविधाओं सहित विलासिता भरी जिंदगी का वरदान चाहिए। आज से तीन दशक पूर्व दीपावली के दिन लोग अंधेरा होते ही नहा धोकर परिवार सहित घर में पूजा वाली जगह पर एकत्र हो जाया करते थे। पूरा परिवार मां लक्ष्मी एवं विनायक की मूर्ति के सामने हाथ जोड़ कर बैठता और स्वयं ही उनकी पूजा करता था। पहले मा लक्ष्मी के सामने दीपक जलाता फिर सारे दीये जलाकर घर की मुंडेर, घर की दहलीज व बाहर सजाता था। ऐसा आज भी होता है पर जरा समय के साथ इसका ढंग ही बदल गया है। दीपमालिकाओं की जगह आज झालरों ने ले ली है। पूजन भी हाई प्रोफाइल हो चुका है। प्रत्येक राशि के व्यक्ति को किस मुहूर्त में लक्ष्मी पूजन करना चाहिए, इसकी पहले से परम्परा रही है मगर आज बढ़ी कमाई और ज्यादा धन की आस ने सभी को हाई प्रोफाइल पूजन विधि की ओर मोड़ दिया है।
हर कोई चाहता है कि लक्ष्मी की उस पर कृपा हो और वह भी ओरों से ज्यादा। इसलिए आज घरों में पूजन कराने के लिए पंडित आते हैं। घर का मुखिया जजमान बनता है और मां लक्ष्मी की पूजा शास्त्रोक्त परम्परा से करता है। पूजन करना अच्छी बात है मगर उसके उद्देश्य कया हैं? यह महत्वपूर्ण है। जाहिर सी बात है कि आज के युग में धन किसे नहीं चाहिए? परन्तु अधिकाधिक लोग यह भूल चुके हैं कि दीवाली के दिन किए जाने वाले रात्रि जागरण का उद्देश्य कया है? इसका तात्पर्य इतना ही है कि लक्ष्मी उसी पर प्रसन्न होती है जो कर्मठ होता है।
धन की बढ़ी आवश्यकता और लालसा टीवी पर आने वाले ज्योतिषाचार्यों ने भी जगाई है। आर्थिक सुख सम्बन्धी विद्या आदि सभी इच्छाओं के मंत्र बताने वाले ज्योतिषाचार्यों को देख-सुन कर लोगों में इसके प्रति आकर्षण बढ़ा है। दीपावली के दिन भारतीय परम्परानुसार घरों में फूल मालाओं एवं पल्लवों में बांदनवार सजाए जाते हैं। अजीब कलाकृतियों से सजे घर बहुत कुछ बता रहे होतें हैं कि धन जैसे भी हों घर आना चाहिए। अब परम्पराएं उतनी महत्वपूर्ण नहीं दिखती जितनी ह्दय में उठती लालसा दिखती है। इसे धर्मानुसार और शास्त्रोक्तानुसार सही कहा जाए या नहीं। फिलहाल लोग बढ़ी आस के चलते पूरी आस से मा लक्ष्मी की विशिष्ट कृपा पाने में जुटे हैं।
शंकरलाल चावड़ा
फतहनगर