मौसम आधारित कृषि सेवाओं की समीक्षा बैठक संपन्न
Udaipur. एमपीयूएटी के अनुसंधान निदेशक डॉ. पी. एल. मालीवाल ने कहा कि मौसम में आए बदलावों पर आधारित कृषि मौसम सेवाओं पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है वहीं हैदराबाद के डॉ. ई. राजी रेड्डी ने फसलों के उत्पादन पर मौसम के प्रभावों का आंकलन व उनका मौसम आधारित परामर्श में समावेश करने की जरुरत बताई।
ये महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के अनुसंधान निदेशालय में चल रही तीन दिवसीय मौसम आधारित कृषि सेवाओं की सातवीं वार्षिक समीक्षा बैठक के तीसरे दिन कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। आयोजन सचिव डॉ. एस. के. शर्मा ने क्षेत्र आधारित मौसम पूर्वानुमानों की प्रभाविकता बढ़ाने के लिए क्षैत्रीय पर्यावरण परिवर्तनों का समावेश करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। भारत मौसम विभाग की कृषि सेवाओं के विभागाध्यक्ष डॉ. के. के. सिंह ने मौसम सेवाओं से जुडे़ वैज्ञाानिकों, अधिकारियों व अंतिम उपभोक्ताओं को व्यापक प्रशिक्षण एवं शोध की आवश्यकता पर जोर दिया।
तीसरे दिन वैज्ञानिकों ने देश के विभिन्न राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों जिसमें नई दिल्ली, आन्ध्र प्रदेश, केरल, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, उडीसा, झारखण्ड, बिहार, छत्तीसगढ़, तमिलनाडू, आसाम, मेघालय, त्रिपुरा, मणिपुर, नागालेण्ड, मिजोरम, जम्मू, उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा एवं हिमाचल प्रदेश में कार्यरत ग्रामीण कृषि मौसम सेवा केन्द्रों पर चल रही विभिन्न गतिविधियों की प्रगति रिपोर्ट वैज्ञानिकों द्वारा प्रस्तुत की। तीन दिवसीय मौसम आधारित कृषि मौसम सेवाओं की सातवीं वार्षिक समीक्षा बैठक का समापन समारोह सम्पन्न हुआ। समापन सत्र के दौरान डॉ. एन. चट्टोपाध्याय, उपमहानिदेशक, भारत मौसम विभाग, पुणे ने बैठक की अनुशंसाएं भी जारी की।
राज्यस्तरीय विभागों के बीच संयोजन की कड़ियों को मजबूत करने की आवश्यकता है, जिससे कृषि मौसम सलाह सेवाओं में सुधार लाया जा सके। ब्लॉक स्तर पर एग्रोमेट सेवाएं प्रारम्भ करने के लिए स्थानीय जलवायु, फसल व किसानों के सम्पर्क सूत्रों का एक विस्तृत संकलन तैयार करने की आवश्यकता है। एग्रोमेट सेवाओं में उत्तरोत्तर प्रगति के लिए शोध एवं विकास की आवश्यकता है। मौसम पूर्वानुमानों के मूल्य संवर्धन हेतु स्थानीय मौसम विशेषज्ञों को व्यापक प्रशिक्षण देना। भारत के उत्तर पश्चिमी राज्यों की मौसम पूर्वानुमानों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। प्राथमिक रुप से चयनित कृषि विज्ञान केन्द्रों पर ब्लॉक स्तरीय कृषि मौसम सेवाएं प्रारम्भ की जाएगी। क्षैत्रीय व संभागीय मौसम पूर्वानुमान केन्द्रों व समुद्र विज्ञानीय मौसम केन्द्र के संयोजन से बेहतर सामुद्रिक मौसम पूर्वानुमान तैयार करना। किसान पोर्टल के द्वारा अधिकाधिक कृषि मौसम पूर्वानुमानों का प्रसार एवं किसान मेला प्रदर्शन व जागरुकता कार्यक्रमों के द्वारा किसानों को प्रत्यक्ष रुप से जोड़ना। पशुपालन एवं मछली पालन हेतु मौसम पूर्वानुमानों को बढ़ावा देना। ब्लॉक स्तर एवं जिला स्तर पर स्थानीय प्रशासन से सुदृढ़ सम्पर्क स्थापित करना जिससे प्रतिकूल मौसम परिस्थितियों की पूर्व सूचना समय पर प्रसारित की जा सके।