इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम निर्माण, क्रियान्वयन एवं मूल्यांकन प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रारम्भ
Udaipur. लगभग साढ़े ग्यारह लाख तकनीकी शिक्षकों की एवज में देश में केवल आठ लाख तकनीकी शिक्षक ही उपलब्ध हैं तथा साढ़े तीन लाख पद रिक्त है। प्रतिवर्ष पौने दो लाख नये तकनीकी शिक्षकों की जरूरत होती है।
आईसीटी (सूचना एवं संप्रेषण तकनीकी) द्वारा इस कमी का समाधान निकाला जा सकता है। इंजीनियरिंग के षिक्षकों को उद्योगों (इण्डस्ट्री) का अनुभव होना चाहिये, ताकि वे इण्डस्ट्री की आवश्यकता के अनुरूप इंजीनियर तैयार हो सके। ये विचार नेशनल इन्स्टीट्यूट ऑफ टेक्निकल टीचर्स ट्रेनिंग एण्ड रिसर्च (नाईटर) चंडीगढ़, भारत सरकार के निदेशक डा. एम. पी. पूनिया ने “इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम निर्माण, क्रियान्वयन एवं मूल्यांकन” विषयक पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के उद्घाटन पर व्यक्त किये। डा. पूनिया ने गूगल हेंगआउट के माध्यम से विद्या भवन पॉलीटेक्निक, उदयपुर, केरियर पाईन्ट टेक्नीकल केम्पस, राजसमन्द सहित देश के विभिन्न इंजीनियरिंग व पॉलीटेक्निक शिक्षकों को संबोधित करते हुए तकनीकी शिक्षा को गुणवत्ताश पूर्ण एवं उद्योगों मे हो रहे नवीन परिवर्तनों शील आवश्यकताओं के अनुरूप बनाने का आग्रह किया।
विद्या भवन सोसायटी के अध्यक्ष रियाज तहसीन ने कहा कि पाठ्यक्रम को गतिशील एवं संप्रेषण मूलक होना चाहिये। तकनीकी शिक्षण प्रयोग व प्रयुक्तिकरण (एप्लीकेशन) आधारित होने पर ही दक्ष इंजीनियर निर्मित हो सकते है। इस अवसर पर तहसीन ने पॉलीटेक्निक की वार्षिक पत्रिका “नवदृष्टि” का विमोचन भी किया। कार्यक्रम में चंडीगढ़ के डा. वाई. के. आनन्द ने कहा कि विकसित राष्ट्रों में विद्यार्थी प्रोएक्टिव होते है, वहीं भारत में रिएक्टिव है। हमारे विद्यार्थियों को भी प्रोएक्टिव बनाना होगा, ताकि उनमें स्वयं सीखने की प्रेरणा जागृत हो। सिविल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर एम. एम. मल्होत्रा ने कहा कि इंजीनियरिंग शिक्षकों व विद्यार्थियों को ज्ञानवान, दक्ष तथा रचनात्मकता से परिपूर्ण होना जरूरी है। इसके लिये उन्होनें कोन्सिव, डिजाइन, इम्पलीमेन्ट तथा ओरगेनाईजेशन (सीडो) अवधारणा (एप्रोच) अपनाने पर जोर दिया।
पॉलीटेक्निक के प्राचार्य अनिल मेहता ने कहा कि इंजीनियरिंग विद्यार्थियों को मेडिकल विद्यार्थियों की तरह ‘इन्टर्नशिप’ पर उद्योगों में भेजा जाना चाहिये। मेहता ने बताया कि विद्या भवन ने यह प्रक्रिया प्रारम्भ कर दी है। कार्यक्रम में नाईटर के क्यूरिकूलम डवलपमेन्ट सेल के विभागाध्यक्ष प्रो. ए. बी. गुप्ता ने भी विचार व्यक्त किये।