कलाकार-शिल्पकार पहुंचे, रिहर्सल में कंठ और साज खोले
राज्यपाल करेंगी उद्घाटन
उदयपुर। पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से आयोजित दस दिवसीय ‘‘शिल्पग्राम उत्सव’’ शनिवार को हवाला गांव स्थित ग्रामीण कला परिसर शिल्पग्राम में प्रारम्भ होगा। उत्सव के पहले दिन दोपहर 3.00 बजे से लोगों के लिये प्रवेश निःशुल्क रखा गया है। उत्सव का उद्घाटन राज्यपाल एवं केन्द्र की अध्यक्ष मार्ग्रेट आल्वा करेंगी। उत्सव के लिये देश के कोने-कोने से शिल्पकारों व कलाकारों का उदयपुर पहुंचने का सिलसिला शुक्रवार को शुरू हो गया।
केन्द्र निदेशक शैलेन्द्र दशोरा ने बताया कि अरावली की पहाड़ियों के बीच बसे शिल्पग्राम परिसर का सालाना उत्सव शनिवार को सांध्य वेला में होगा। राज्यपाल मार्ग्रेट आल्वा उत्सव का उद्घाटन करेंगी। उत्सव के लिये शिल्पग्राम की साज सज्जा को शुक्रवार देर शाम तक चलती रही। वहीं कलाकारों व शिल्पकारों का उदयपुर पहुंचना प्रारम्भ हो गया। शाम को रंगमंच पर कलाकारों ने अपने वाद्य यंत्रों को खोला व सुर साधे तथा अपनी शैलियों का अभ्यास किया। उत्सव में तकरीबन डेढ़ हजार कलाकार व शिल्पकार भाग लेंगे उत्सव के लिये शिल्पग्राम परिसर को थीम ‘‘जनजाति संस्कृति’’ के अनुरूप सुसज्जित किया है।
समूचे शिल्पग्राम परिसर में रंगीन ध्वज, तोरण द्वार की सज्जा जहां पूर्ण हुई वहीं रंगमंच को आगामी दिनों के लिये अंतिम रूप दिया गया। सैण्ड आर्टिस्ट सुबल महाराणा ने रेत से उत्कीर्णन शुरू कर दिया तथा उन्होंने गौतम बुद्ध को रेत से उकेरा। राष्ट्रीय स्तर के इस उत्सव में विकास आयुक्त हस्तशिल्प नई दिल्ली, विकास आयुक्त हथकरघा, नेशनल वूल डेवलपमेन्ट बोर्ड, राष्ट्रीय पटसन बोर्ड के शिल्पकारों के साथ-साथ क्षेत्रीय सांस्कृतिक केन्द्रों के शिल्पकार व कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे।
दशोरा ने बताया कि उत्सव के उद्घाटन दिवस 21 दिसम्बर को दोपहर 3.00 बजे बाद उत्सव में लोगों के लिये प्रवेश निःशुल्क रखा गया है। दस दिवसीय उत्सव में रोजाना दोपहर 12.00 से हाट बाजार की गतिविधियाँ प्रारम्भ होगी जिसमें शिल्प प्रदर्शन के साथ-साथ विभिन्न थड़ों आंगन, चौपाल, गुर्जरी आदि पर लोक कलाकारों द्वारा नृत्य व गायन के कार्यक्रम प्रस्तुत किये जायेंगे। उत्सव के दौरान रोजाना शाम 6.00 बजे से मुक्ताकाशी रंगमंच ‘‘कलांगन’’ पर विभिन्न राज्यों के लोक कलाकार अपनी प्रस्तुतियाँ देंगे।
केन्द्र निदेशक दशोरा ने बताया कि उत्सव में कला प्रस्तुतियों के लिये आमंत्रित दलों में 21 से 25 दिसम्बर तक कला प्रेमियों को गोवा का घोड़े मोडनी, सिक्किम का सिंगी छम, उत्तराखण्ड का छपेली, थडिया चौफला, गुजरात का डांगी नृत्य, ऑडीशा का गोटीपुवा, हिमाचल प्रदेश का नाटी, पश्चिम बंगाल का पुरूलिया छाऊ, छत्तीसगढ़ का गौंड मारिया, अरूणाचल प्रदेश का ब्रोजाई व जू-जू झा-झा, कनाटक का करघा कोलट्टा व मेवाती ध्वनि जैसी कला शैलियों के रसास्वादन का अवसर मिल सकेगा।