विद्या भवन रुरल इन्स्टीटयूट के जूलोजी विभाग का सेमीनार
उदयपुर। वैश्विक स्तर पर होने वाले जलवायु परिवर्तन मानवीय समाज को उसके जीवन को कई क्षेत्रों में प्रभावित किया है। इससे हमारे प्राकृतिक संसाधनों के अस्तित्व और प्रचुरता पर संकट के बादल मंडराने लगे है अतः अब हमें विदेशो की तर्ज पर पर्यावरण को बचाने की मुहिम शुरू करनी होगी। इसके लिये आमजन के सामूहिक भागीदारी से ही जलवायु परिवर्तन एवं पर्यावरण को बचाया जा सकता है।
ये विचार कोटा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. मधुसूदन शर्मा ने बतौर मुख्य अतिथि विद्या भवन रूरल इन्सटीटयूट के जूलोजी विभाग द्वारा आयोजित दो दिवसीय जलवायु परिवर्तन एवं पर्यावरण पर प्रभाव पर आयोजित राष्ट्रीय सेमीनार के समापन पर व्यक्त किये। अध्यक्षता करते हुए मोहनलाल सुखाडिया विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. बी. एल. चौधरी ने कहा कि औद्योगिकरण, विकास, नगरीकरण तथा जनसंख्या की अधिकता के साथ-साथ वर्कशॉप, जलाशयों, नदियों, पर्वतों, खेतीहर पशुओं तथा कृषि का भी हास हुआ है। साथ ही जलवायु, भूमि एवं ध्वनि प्रदूषण भी दिनों दिन बढ़ा है।
अति विशिष्टं अतिथि विद्या भवन सोसायटी के रियाज तहसीन ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के जिम्मेदार मनुष्य स्वयं है। आज का मनुष्य वर्तमान जीता है तथा भविष्य की नहीं सोचता है। अतः मनुष्य को वर्तमान परिप्रेक्ष्य् में व्यवहारिक स्वरूप समाज के सामने लाकर पर्यावरण की नीतियों को आमजन के साथ मिलकर लागू करनी होगी। विशिष्टन अतिथि प्रो. महिप भटनागर ने बताया कि हमें जंगलों की कटाई के साथ साथ उतनी ही मात्रा में पौधे लगाने होंगे तभी हम पर्यावरण को बचा सकेंगे। साथ ही फिनोलोजी के आधार पर पौधे के फुडिंग का जो समय परिवर्तित हो रहा है उसी के आधार पर कृषि करनी होगी । तभी हम कृषि में कारगर साबित होंगे। सेमीनार में यूआईटी सचिव आर. पी. शर्मा, निदेशक डॉ. टी. पी. शर्मा तथा इण्डियन ऑयल के निदेशक आदित्य खोटेटा ने भी विचार व्यडक्तन किए।
पत्रवाचन तथा पोस्टर प्रतियोगिता – आयोजन सचिव डॉ. सुषमा जैन ने बताया कि सेमीनार के दो दिन में छह तकनीकी सत्रों के तीन समानान्तर सत्र हुए। दो दिवसीय सेमीनार में 208 शोधार्थी तथा विषय विशेषज्ञों ने 188 पत्रों का वाचन किया। सेमीनार में पोस्ट प्रजेन्टेशन तथा प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर दक्षा शर्मा तथा द्वितीय स्थान पर मोनिका सेन रहे।