शिल्पग्राम उत्सव-2013
उदयपुर। पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से आयोजित दस दिवसीय ‘‘शिल्पग्राम उत्सव-2013’’ में गुरूवार शाम ‘कलांगन’ पर लोक प्रस्तुतियों में पंजाब का भांगड़ा, असम का बिहू व मणिपुर के जांबाज लड़ाकों ने एक तरह से धमाल कर दी।
उत्सव के छठें दिन रावण हत्थे की सुरीले सुरों से शुरू हुई। इसके बाद महाराष्ट्र के सांस्कृतिक कार्य संचालनालय की ओर से प्रायोजित महाराष्ट्र के लोक वाद्यों की सिम्फनी में वहां के प्रचलित व लोकप्रिय वाद्यों से प्रस्फुटित स्वरों को लयकारी के साथ सुनने का अवसर मिला। इसके बाद तमिलनाडु के कलाकारों ने कावड़ी कड़गम में शहनाई व तविल की लय पर विभिन्न प्रकार के करतब अपने नृत्य में दिखाये। करतबों और करिश्मों से भरी मणिपुर की मार्शल आर्ट थांग-ता ने दर्शकों को रोमांचित कर दिया। इसमें स्टिक डांस के साथ तलवारबाजी में आक्रमण व सुरक्षा के गुरों का प्रदर्शन किया गया। तलवारबाजी में तलवार से निकलती चिंगारियां दर्शकों में रोमांच का संचार कर गई।
असम पूर्वोत्तर का सुंदर प्रदेश हैं जहां बंसत माह में बिहू पर्व पर युवक युवतियों द्वारा बिहू किया जाता है। पेंपा व गोगोना के सुरों के साथ ढोलकी की थाप पर असमी युगलों ने अपने नृत्य से बिहू पर्व का जश्न मनाया। कार्यक्रम में भपंग वादक उमर फारूख ने भपंग वादन से दर्शकों का मनोरंजन किया। मांगणियार लोक गायकों ने अपने सुरीले गायन से दर्शकों व संगीत के रसिकों को रिझाया। कर्नाटक के कलाकारों ने सुग्गी कुनीथा की सुंदर प्रस्तुति दी वहीं पंजाब के भांगड़ा नर्तकों ने पंजाबी ढोल की लय पर भंगड़े से धमाल मचाई व दर्शकों को झुमाया। कालबेलिया नृत्यांगनाओं ने अपनी प्रस्तुति में नेत्र पलक से अंगूठी उठाने की कला को दिखाया। कार्यक्रम में इसके अलावा मणिपुर का पुंग चालम, गुजरात का राठवा नृत्य व गुजरात का सिदी धमाल नृत्य उल्लेखनीय प्रस्तुतियाँ रही।
ताड़पत्र पर देवी देवताओं के चितराम पट्टचित्र
पुरी के कलाकारों द्वारा ताड़पत्र पर पट्ट चित्रकारी करने का प्रदर्शन किया जा रहा है। उड़ीसा के प्रकाश शिल्पग्राम की कोल्हापुर झोंपड़ी के सामने अपनी दुकान पर आगंतुकों को ताड़ पर नेल से चित्र उत्कीर्णित कर उसमें दीप से बने काजल का रंग भरने का प्रदर्शन कर रहा है। प्रकाश के अनुसार ताड़पत्र का उपयोग काफी पुराना है तथा कई ग्रंथों की रचना इन पत्रों पर की गई है। प्रकाश व उनका परिवार पिछली चार पीढ़ियों से ताड़ पत्र पर चित्रकारी का काम कर रहे हैं। इनके पास 25 से 25000 रूपये तक के चित्र हैं। महंगे चित्र में भगवान श्रीगणेश की महिमा का वर्णन चित्रों के माध्यम से किया गया है। वहीं एक ताडपत्र की भीतर की परत में कामसूत्र को दर्शाया गया है। जमाने को देखते हुए इन्होंने अपनी कला में कुछ नये आयाम जोड़े जिसके तहत इन्होंने कांच की बोतल, हरे नारियल, नारियल के खोल पर पट्ट चित्र बनाना भी शुरू कर दिया है। वहीं इन दिनों गाय के गोबर से ये विभिन्न जीव जन्तुओं का सृजन भी कर रहे हैं।
हाट में लोगों की आवक जारी
लोगों की आवक जारी रही तथा अपने घर को सजाने व उसे कला से परिपूर्ण करने की मंशा से लोगों ने हाट बाजार में खरीददारी करने के साथ मेले का आनन्द उठाया। हाट बाजार में गुरूवार को दोपहर व शाम को लोगों की भीड़ रही वहीं दिन में परिवारजनों के साथ आये लोगों ने खानपान का आनन्द उठाया। हाट बाजार के वस्त्र संसार में पटोला साड़ी, बेडशीट, वूलन शॉल, अंगोरा के गर्म व ऊनी वस्त्र, नीली कारीगरी से सृजित विभिन्न प्रकार के पात्र, मिट्टी की कलात्मक मूर्तियाँ, बस्तर की पीतल की मूर्तियाँ, गोवा के शिल्पकारों द्वारा नारियल के खोल से बनाई कला कृतियाँ, पेपर मेशी के झरने, मधुबनी चित्रकारी, दर्पण बाजार में फड़ कला से सजे चित्र, पीतल के फलदान, दीपक, लैम्प, हैण्डमेड पेपर के बैग, लिफाफे, लैम्प शेड, मोजड़ी, चमड़ के चित्रकारी युक्त लैम्प शेड, बाड़मेरी पट्टू, कच्छी शॉल, वूलन कारपेट आदि उल्लेखनीय हैं। मेले में ही लोगों ने विभिन्न खान-पान की वस्तुओं का आनन्द उठाया।
रेत शिल्पी ने बनाई तीसरी कृति
ओडीसा के रेत शिल्पी सुबल महाराणा ने शिल्पग्राम उत्सव के छठवें दिन गौतम बुद्ध की तीसरी कृति को अंतिम रूप दिया। सुबल ने सबसे पहले ध्यान मग्न बुद्ध को बनाया इसके पश्चात उन्होंने ध्यान मुद्रा में शयन करते गौतम बुद्ध की प्रतिमा को रेत पर उकेरा तथा गुरूवार को उन्होंने रेत पर बारीकी से काम करते हुए गुफा में ध्यान करते बुद्ध की प्रतिमा को सुंदर अंदाज में दिखाया। शिल्पग्राम आने वाले कमोबेश सभी आगंतुकों में इन प्रतिमाओं को अपने कैमरों में कैद करने की होड़ सी लगी रहती है।