उदयपुर। भगवान पार्श्ववनाथ का जन्म कल्याणक महोत्सव शुक्रवार पौषीदशम को धूमधाम से मनाया गया। देश भर के एक सौ आठ पार्श्वानाथ मंदिर में से एक सवीना पार्श्व नाथ मंदिर पर भव्य मेला भरा और पांच हजार से अधिक समाजजनों ने स्वामी वात्सल्य किया।
श्री जैन श्वेताम्बर महासभा एवं श्री जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक श्रीसंघ के तत्वावधान में सवीना स्थित पार्श्वानाथ मंदिर में शुक्रवार प्रात: प्रक्षाल पूजा, फिर धूप, केसर और पुष्प पूजा की गई। उसके बाद पुन: भगवान का प्रक्षाल किया गया। भगवान को बादला, रूई एवं सोने चांदी के डंके की आकर्षक आंगी की गई। जिसके सैकड़ों लोगों ने दर्शन किए। मंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि पौषी दशम पर देशभर के पार्श्वोनाथ मंदिरों में जन्म कल्याणक महोत्सव धूमधाम से मनाया गया। सवीना तीर्थ पर दोपहर को पद्मावती भक्ति मंडल की कांता चौधरी एवं सुमन डामोर की टीम ने संगीतमय सत्तरभेदी पूजा पढ़ाई। भगवान की अंगरचना एवं पूजा का लाभ तेजसिंह सरूपरिया परिवार ने लिया। इसके पश्चात मंदिर के शिखर पर वार्षिक ध्वजा चढ़ाई गई। इस दौरान भगवान पार्श्व नाथ के जयकारों से पूरा वातावरण गूंजायमान हो गया। आज कई श्रावक-श्राविकाओं ने एकास्ने की तपस्या की। अपरान्ह बाद सब्जीमंडी परिसर में भव्य स्वामी वात्सल्य हुआ, जिसमें पांच हजार से अधिक धर्मावलम्बी् शामिल हुए। शाम को कुमारपाल राजा बनकर मंदिर में भगवान पार्श्वजनाथ की एक सौ आठ दीपक की आरती की गई। मंदिर आकर्षक विद्युत सज्जा से जगमगा रहा था। इस भव्य समारोह को मूर्त रूप देने में महासभा अध्यक्ष तेजसिंह बोल्या, श्रीसंघ के कार्यवाहक अध्यक्ष भोपालसिंह दलाल, पूर्व अध्यक्ष किरणमल सावनसुखा, संजय खाब्या, अंकुर मुर्डिया, चतर पामेचा, दलपत दोशी, राजू पंजाबी, धनरूपमल मेहता, यशवन्त जैन, प्रताप चेलावत, राजकुमार गन्ना, नरेंद्र चौधरी, गजेंद्र खाब्या, अशोक जैन, रविप्रकाश देरासिया, ललित कच्छारा, डॉ. अनिल कोठारी, सतीश कच्छारा, प्रकाश गांधी सहित पूरी टीम जुटी रही और पूरा समारोह शांतिपूर्वक तरीके से हुआ। इस दौरान पुलिस की भी माकूल व्यवस्था रही।
देशभर के एक सौ आठ पार्श्वपनाथ मंदिरों में जाने जाने वाले घंटाघर स्थित चंदाप्रभु पार्श्वानाथ, घोड़ीजी पार्श्वानाथ, करेड़ा पार्श्व नाथ, कसौटी पार्श्व्नाथ, मजावड़ी पार्श्वानाथ मंदिरों में भी भगवान का जन्म कल्याणक महोत्सव धूमधाम से मनाया गया। भोपालसागर में करेड़ा पार्श्वटनाथ में भव्य मेला भरा, जिसमें पचास हजार से अधिक समाजजन शामिल हुए।