शराब कारोबारियों से मासिक बंधी का मामला
उदयपुर। अदालत ने मासिक बंधी के चर्चित मामले में न्यायिक हिरासत भोग रहे कोटड़ा के पुलिस पुलिस उपाधीक्षक मनीष शर्मा सहित तीन पुलिसकर्मियों की जमानत अर्जी शुक्रवार को खारिज कर दी।
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के विशेष न्यायाधीश नरसिंहदास व्यास ने जमानत अर्जी पर सुनवाई के बाद टिप्पणी करते हुए कहा कि पुलिस का प्राथमिक कार्य विधि व्यवस्था बनाए रखना है, जो तभी कायम रखी जा सकती है जब पुलिस ईमानदारीपूर्वक अपराधों पर रोकथाम लगाई जाए। लेकिन अत्यन्त दुखद है कि पुलिस द्वारा बजाए अपराधों पर रोकथाम लगाने के अपराधियों से मासिक बंधी प्राप्त कर उनमें बढ़ोतरी किए जाने का दुस्साहिक कार्य किया जा रहा है। यदि ऐसी ही स्थिति बनी रही तो वह दिन दूर नहीं है, जब लोगों का शासन तंत्र में पुलिस से एकदम विश्वास उठ जाएगा जो लोकतांत्रिक शासन प्रणाली में कदापि शुभ संकेत नहीं होगा। ऐसे में उनको जमानत पर रिहा किया जाना न्यायोचित नहीं होगा। अदालत ने पुलिस उपाधीक्षक जटवाड़ा-हिण्डौन सिटी हाल गोपालपुरा निवासी मनीष शर्मा, पानरवा के निलंबित थानाधिकारी करणपुर-लोहारिया बांसवाड़ा निवासी धूलजी मीणा तथा डैया चौकी के प्रभारी बावलवाड़ा-खेरवाड़ा निवासी प्रभुलाल मीणा की जमानत अर्जी के प्रार्थना पत्र खारिज कर दिए।
गत चार जनवरी को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की उदयपुर इकाई ने तीनों आरोपियों को शराब कारोबारियों से मासिक बंदी लेने तथा अस्सी हजार रुपए की रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया था। तभी से तीनों आरोपी न्यायिक हिरासत में चल रहे हैं। इस मामले में डिप्टी मनीष शर्मा की ओर से अधिवक्ता रितेश रत्न व्यास, जबकि धूलजी मीणा तथा प्रभुलाल मीणा की ओर से अधिवक्ता दुर्गाप्रसाद खींचा ने तथा राज्य सरकार की ओर से सहायक निदेशक अभियोजन राजेश धडक़े ने पैरवी की।