जुटेंगे 150 से अधिक इतिहासविद्
उदयपुर। जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्ववि़द्यालय के संगठक माणिक्यलाल वर्मा श्रमजीवी महाविद्यालय के इतिहास एवं संस्कृति विभाग के तत्वावधान में राजस्थान इतिहास के पुर्नलेखन एवं रिक्त कालखण्ड की पूर्ति के लिए शोध परख की दृष्टि से राजस्थान इतिहास के आयाम विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी 30-31 जनवरी को होगी।
आयोजन सचिव डॉ. हेमेन्द्र चौधरी ने बताया कि भारत वर्ष के इतिहास को पुष्ट करने के लिये राजस्थान के इतिहास को पूर्णता प्रदान करना ही संगोष्ठी का प्रमुख उद्देश्य है।
इन पर होगा मंथन : राजस्थान के इतिहास जानने के स्त्रोत, राजस्थान का पुरातत्व – स्थल, अभिलेख, स्मारक, सिक्के, खनिज, उत्खनन एवं धातु विज्ञान में राजस्थान का योगदान, राजस्थान के ऐतिहासिक व्यक्तित्व, राजस्थान की क्षेत्रिय ऐतिहासिक घटनाएं, राजस्थान की सांस्कृतिक विशेषताएं : पर्व, त्योहार, मेले, उत्सव, रीति रिवाज, परम्परा, स्थापत्य कला, चित्र, मूर्ति आदि, राजस्थान का लोक इतिहास – लोक देवी-देवता, लोक साहित्य आदि, राजस्थान के राजवंश, राजस्थान के पर्यटन स्थल तथा स्वतंत्रता आन्दोलन, रियासती आन्दोलन की घटनाएं।
संगोष्ठी निदेशक डॉ. नीलम खुर्शीद ने बताया कि सेमीनार में सम्पूर्ण राजस्थान में पाषाण काल से ही मनुष्य की गतिविधियों के अवशेष विद्यमान है। प्रस्तर औजार के अतिरिक्त सैकड़ों की संख्या में पाषाणकालीन चित्र भी खोजे जा चुके हैं । पुरातात्विक अवशेषों से स्पष्ट संकेत होता है कि यहां पाषाणकाल के अन्तिम चरण में पशुपालन, खेती तथा धातु निर्माण की समझ विकसित होने लगी हैं । इसके प्रमाण उत्तरी राजस्थान में गणेश्वर संस्कृति तथा दक्षिणी राजस्थान में 8 संस्कृति के रूप में विद्यमान हैं।
यहां से आएंगे विषय विशेषज्ञ : भोपाल, जयपुर, कोटा, बीकानेर, हरियाणा, पूना, तमिलनाडु, जोधपुर, श्री गंगानगर, हनुमानगढ, करौली, सीतामहु, इन्दौर, अहमदाबाद, मुम्बई सहित अन्य राज्यों से भी विषय-विशेषज्ञ शिरकत करेंगे।