उदयपुर। जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ माणिक्य लाल वर्मा श्रमजीवी महाविद्यालय के इतिहास विभाग के तत्वा्वधान में 30-31 जनवरी को राजस्थारन के इतिहास के आयाम विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया जाएगा।
संगोष्ठी निदेशक डॉ. नीलम कौशिक ने पत्रकारों से बातचीत में बताया कि संगोष्ठी में भारत के विभिन्न हिस्सों से प्रतिभागी भाग लेंगे जिसमें दिल्ली, उतरप्रदेश, हरियाणा, गुजरात, मध्यप्रदेश, राजस्थान प्रमुख है। डॉ. कौशिक ने यह भी सूचित किया कि उद्घाटन सत्र में इतिहास एवं संस्कृति विभाग द्वारा ’विरासत’ नामक शोध पत्रिका का विमोचन कराया जाएगा। यह शोध पत्रिका नेशनल सांइस लाइब्रेरी द्वारा रजिस्टर्ड शोध -पत्रिका होगी जिसमें शोध आलेखों का प्रतिवर्ष प्रकाषन किया जायेगा। ’विरासत का उद्धेश्या शोध का विस्तार कर उसे समाज के समक्ष प्रस्तुत करना है।
आयोजन सचिव डॉ. हेमेन्द्र चौधरी ने बताया कि संगोष्ठी के उदघाटन सत्र में मुख्य अतिथि कुलाधिपति प्रो. भवानी शंकर गर्ग, एवं रावत श्रीमान हरि सिंह बेगूं पूर्व कृषि मंत्री राजस्थान सरकार होंगे। समापन सत्र की मुख्य अतिथि रजनी डांगी, महापौर नगर निगम उदयपुर एवं विशिष्टो अतिथि डॉ. लोकेश शेखावत कुलपति, भगवंत विश्वरविद्यालय अजमेंर, कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रों. एस.एस. सारंगदेवोत, कुलपति जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्व्विद्यालय करेंगे।
अधिष्ठाता डॉ. सुमन पामेचा ने बताया कि संगोष्ठी में सम्पूर्ण राजस्थान के इतिहास का मंथन होगा जो भविष्य में इतिहास लेखन में मदद करेगा। उदघाटन सत्र में प्रतिष्ठित इतिहासकारो को सम्मानित भी किया जाएगा जिनमें प्रो. के. एस. गुप्ता, प्रो. गिरीशनाथ माथुर, प्रो. देवीलाल पालीवाल, डॉ. जगदीश भाटी एवं सवाई हरिसिंह बेगूं प्रमुख रूप से सम्मिलित हैं। डॉ. गिरीशनाथ माथुर ने बताया कि संगोष्ठी का हमारा उद्धेश्य शोध छात्रों को मूल स्त्रोतों के आधार स्थानीय इतिहास लेखन के लिए प्रेरित करना है जिससे कि वह हमारे सर्वांगीण विकास का आधार बन सकें। डॉ. जीवनसिंह खरकवाल ने बताया कि हमारे विभाग का उद्धेष्य ऐतिहासिक काल से पूर्व के इतिहास को उत्खनन द्वारा पूर्णता प्रदान करना है।