उदयपुर। बिना चिकित्सा विज्ञान के जानकारी के हम अपनी बीमारी को और बढ़ा रहे है। यदि इस चिकित्सा विज्ञान को समझ कर प्राकृतिक चिकित्सा का अनुसरण कर बीमारियों के सिस्टम को ठीक करें तो जीवन भर बिना दवाओं के भी निरोगी रह सकते है।
यह कहना है प्राकृतिक चिकित्सक डॅा. छैल बिहारी शर्मा का। जो कल रोटरी क्लब उदयपुर द्वारा रोटरी बजाज भवन में ‘प्राकृतिक चिकित्सा से बीमारियों को दूर करें’ विषयक वार्ता में मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे। उन्होनें बताया कि जीवन में काम आने वाली नियमित प्राकृतिक वस्तुओं से दूर होकर बीमारियों को आमंत्रित किया है इसलिए हम दवाओं पर आश्रित हो गये है। इसके लिए हमें पुन:प्राकृतिक वस्तुओं की ओर अग्रसर होकर उनका सेवन करते हुए जीवन को निरोगी रखना होगा। शरीर में नवस सिस्टम की कमजोरी के कारण कार्टिलेज का बनना कम हो जाता है जिस कारण तीन स्थानों घुटना, बेकबॉन व गले में दर्द शुरू हो जाता है। कार्टिलेज को बनानेमें सहयेागी सहजना,ग्वार,चवला फली का उपयोग करें, कोलेस्ट्रोल को कम करने के लिए प्रतिदिन नींवू की दस बूंद का सेवन करना चाहिए।
उन्होनें बताया कि प्रतिदिन प्रात: गर्म पानी का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि पानी के गर्म करने से उसमे व्याप्त गुण समाप्त हो जाते है। शरीर में लीवर में 500 तथा पेनक्रियास 50 तरह के एन्जाईम्स बनाते है। जब से हमने दंातों के लिए पेस्ट करना प्रारम्भ किया है तब से हम कठोर वस्तु व गन्ना नहीं खा पा रहे है। पालक की सब्जी खाने के बाद दंात साफ करनें से वे चमकेंगें क्योंकि पालक मेंकेल्शियम होता है जो दांतों के लिए काफी आवश्यक है।
नियमित रूप से ब्लडप्रेशर की गोली के सेवन का असर किडनी पर पड़ता है। उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने के लिए गर्म पानी में 5 से 10 मिनिट तक पैर रखनें पर वह नियंत्रित होगा। ह्दय को सबसे मजबूत हवा रखती है। इसके लिए प्रतिदिन सूर्योदय से पूर्व नियमित रूप से प्रात:कालीन भ्रमण करें। अुर्जन की छाल का उपयोग सीमित मात्रा में करें क्योंकि अत्यधिक सेवन से नसों के कटने की संभावना रहती है। शरीर के डाईजेशन से मधुमेह बीमारी ठीक होती है। डाईजेशन के लिए छाछ का नियमित सेवन करें। सेव खाने के बाद 40 मिनिअ बाद खाना खाएं क्योंकि सेव शरीर में इन्सुलिन का काम करती है। पोहा सबसे निकृष्ट नाश्ता है। एसिडीटी को ठीक करने के लिए बेलेन्स डाइट लें। प्रारम्भ में क्लब अध्यक्ष बी. एल. मेहता ने विषय पर अपने विचार रखें। सचिव सुरेन्द्र जैन ने सचिवीय सूचनाएं दी। अंत में बी. एल. जैन ने धन्यवाद दिया।