विद्यापीठ में वित्तीय मुद्दे एवं आर्थिक सुधार पर राष्ट्रीय संगोष्ठी सम्पन्न
उदयपुर। विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के प्रो. तपन चौरे ने भारत की मौद्रिक नीतियों की समीक्षा करते हुए कहा कि देश की आर्थिक नीतियों के निर्माण में अर्थ शास्त्रियों की प्रमुख भूमिका न रहकर राजनीतिज्ञों एवं नौकरशाहों की हो गई है जिन्होंने नीति निर्माण का कार्य अपने हाथ में ले लिया है। उन्होंने कहा कि आर्थिक नीतियां उच्च वर्ग के हितों का संरक्षण करती है और उनका लाभ आम जनता तक नहीं पहुंच पा रहा है।
वे रविवार को जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वेविद्यालय के संघटक माणिक्यलाल वर्मा श्रमजीवी महाविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग के तत्वावधान में वित्तीय मुद्दे एवं आर्थिक सुधारों पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन समारोह को मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रहे थे। मुख्य अतिथि कोटा विश्वमविद्यालय के कुलपति प्रो. मधूसुदन शर्मा ने कहा कि आर्थिक नीतियों के साथ साथ पर्यावरणीय मुद्दों को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए। आर्थिक समस्याएं न केवल व्यक्ति के जीवन को प्रभावित करती हैं अपितु सामाजिक जीवन भी उनसे अछूता नहीं है। आज न केवल स्थानीय एवं राष्ट्रीय स्तर पर अपितु अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी आर्थिक विकास पर्यावरण संरक्षण निर्भर करता है।
विशिष्टप अतिथि राजीव गांधी जनजाति विश्वअविद्यालय के कुलपति टी. सी. डामोर ने कहा कि आज अखबारों में छपने वाली आर्थिक मुद्दों से सम्बंधित एक छोटी सी खबर पूरे देश को प्रभावित करती है। रिजर्व बैंक की घोषणा की वर्ष 2005 से पूर्व के नोटों को मार्च के बाद बंद कर दिया जाएगा तथा उसके बाद यदि नये नोट उनके स्थान पर प्राप्त करने है तो बैंकों में जाना होगा और बैंक यह पूछ सकते है कि ये नोट आप कहा से लाए?
इस प्रकार दिन-प्रतिदिन घटने वाली छोटी-मोटी आर्थिक घटनाएं कभी-कभी हमें चिंता में डाल देती है। राजस्थान विष्वविद्यालय जयपुर के प्रो. सी.एस. बरला ने कहा कि भारत में विख्यात अर्थशास्त्री मौजूद है जिनके सुझावों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहुत सम्मान दिया जाता है किन्तु देश का दुर्भाग्य है कि अर्थषास्त्रियों के सुझावों के बजाय राजनीतिज्ञों के सुझावों को यहां महत्व दिया जाता है। राजस्थान जैसे राज्य के पिछडे़पन का कारण यहां निवेश का समुचित परिवेश नहीं है।
अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रो. एस. एस. सारंगदेवोत ने कौटिल्य के अर्थशास्त्र का संदर्भ देते हुए कहा कि अर्थ व्यवस्था ऐसी होनी चाहिए जिसमें आम लोगो का हित संवर्धन हो और कल्याणकारी राज्य की आधारशिला रखी जा सके। समारोह को महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य प्रो. जे. एस. राणावत, डॉ. सुमन पामेचा ने भी सम्बोधित किया। संचालन सीमा चम्पावत ने किया। धन्यवाद डॉ. पारस जैन ने दिया।
इनका हुआ सम्मान : सेमीनार के संयोजक डॉ. पारस जैन ने बताया कि इस अवसर डॉ. अंजू कोहली, डॉ. मायाकेवल रमानी, डॉ. शारदा गुप्ता, डॉ. एन. के. दशोरा, डॉ. जे. एस. राणावत का स्मृति चिन्ह, शाल एवं सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया।
तकनीकी सत्र : सेमीनार अध्यक्ष डॉ. सुमन पामेचा ने बताया कि दो दिवसीय संगोष्ठी के तहत आयोजित चार तकनीकी सत्रों में लगभग 105 शोध पत्रों का वाचन किया गया।