रोटरी डिस्ट्रीक्ट-3040 की काँफ्रेंस ‘आनन्दम’ का समापन
उदयपुर। रोटरी इंटरनेशनल के पूर्व निदेशक शेखर मेहता ने क्लब द्वारा पोलियोमुक्त भारत की सफलता के बाद वर्ष 2017 तक दक्षिण एशिया में साक्षरता अभियान को पूरा करने को लेकर कहर कि रोटरी ने वर्ष 2017 तक साऊथ एशिया से रोटरी सदस्यों के माध्यम से निरक्षरता को समाप्त करने का लक्ष्य बनाया है।
वे रोटरी क्लब इन्दौर प्रोफेशनल्स की मेजबानी में मोहनलाल सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय के सभागार में रोटरी इन्टरनेशनल डिस्ट्रिक-3040 की 30 वीं दो दिवसीय डिस्ट्रिक्टा कॉन्फ्रेस आनन्दम के समापन समारोह मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे। अंतिम दिन डिस्ट्रिक्ट्-3040 के वर्ष 2016-17 के प्रान्तपाल का भी चुनाव सम्पन्न हुआ जिसमें रोटरी क्लब नीमच के दर्शनसिंह गांधी प्रान्तपाल निर्वाचित हुए।
उन्होनें बताया कि इस अभियान में महिला साक्षरता पर भी विशेष जोर दिया जाएगा क्योंकि एक महिला के साक्षर होने से आने वाली अनेक पीढीयां साक्षर होती हैं। उन्होंने बताया कि पोलियो मुक्त भारत के बाद यह रोटरी का सबसे बडा़ प्रोग्राम हैं जो रोटरी की टीम के पूर्ण सहयोग एवं देश की जागरूकता के साथ ही पूरा हो पायेगा। उन्होनें लिट्रेसी के टीच शब्द के अंग्रेजी अक्षरों को समझाते हुए कहा कि टीचर सपोर्ट, ई-लर्निंग, एडल्ट लिट्रेसी, चाइल्ड डवलपमेन्ट व हैप्पी स्कूल की थीम के आधार पर इस अभियान को पुरा किया जायेगा।
उन्होंने ‘मैं रोटेरियन क्यों हूं’ विषय पर कहा कि रोटरी बेहतर लीडरशिप, सेवा कार्य, लोगों की सेवा करने का अवसर प्रदान करती है। उन्होनें अपने अनुभव बांटते हुए बताया कि जब गांवों में जाकर लोगों का रहन-सहन देखा तो पता चला गरीबों का दर्द क्या होता हैं तभी से सेवा करते करते अमीर और गरीब का फर्क कब मिट गया पता ही नही चला, एक दूसरे के साथ मितव्ययता, फैलोशिप यह सब रोटरी की वजह से और मुझे गर्व हैं की मै एक रोटेरियन हूं।
मुख्य वक्ता के ही रूप में रोटरी इन्टरनेशनल के निदेशक मनोनीत डॉ. मनोज देसाई ने अपने चित-परिचित अंदाज में जुगाड़ के माध्यम से स्लाईड शॉ पर कई जुगाड के तरीके बताते हुए कहा कि रोटरी को भी जुगाड़ की आवश्यकता हैं। उन्होनें कहा कि भारत जुगाड़ के लिए प्रसिद्ध है। उन्होनें तिलोनिया यूनिवर्सिटी का स्लाईड शॉ दिखाकर बताया कि इस यूनिवर्सिटी में 50 से ज्यादा उम्र की विधवा महिलाएं जो कुछ भी कार्य नही करती हैं। ऐसी महिलाओं को सोलर सिस्टम के बार में ट्रेनिंग देकर सोलर सिस्टम के निर्माण करवाये गये हैं जिसकी वजह से पूरे गाँव में बिजली की सप्लाई की जाती हैं।