उदयपुर। जीवन का प्रथम बिन्दू जन्म और अंतिम बिन्दु मृत्यु है। जीवन शरीर व आत्मा का संयुक्त रूप है, केवल शरीर व केवल आत्मा से जीवन नही होता। आज के भौतिकवादी वातावरण मे ज्ञान से अधिक विज्ञान का बोल-बाला है, विज्ञान ने धरती से आकाश के रहस्य को तो छान लिया लेकिन जीव के आने-जाने एवं आत्मा व आत्मज्ञान का बोध सिर्फ आत्मदृष्टा ही कर सकता है।
ये विचार महासाध्वी डॉ. दिव्यप्रभा ने मंगलवार को तारक गुरु जैन ग्रन्थालय सभागार मे श्वेताम्बर स्थानकवासी जैन धार्मिक शिक्षा बोर्ड एवं दिव्य कुसुम मंगल मैत्री संगठन द्वारा आयोजित गुणानुवाद सभा एवं परिक्षार्थी सम्मान समारोह व महासती अनुपमा के 31वीं दीक्षा तथा महासती निरूपमा की 49वीं जयन्ती पर श्रावक-श्राविकाओं को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि दीक्षा जीवन का परिवर्तन है, भातिकवाद की अन्धी दौड मे व्यक्ति लगातार दौड़ रहा है पर सिर्फ बाह्य सुख पाने के लिए लेकिन आन्तरिक सुख का बोध तो आत्म ज्ञान से होगा।
महासती अनुपमा ने कहा कि संसार मे भटकने का मुख्य कारण अज्ञान है, अष्टकर्म सभी शत्रुओं से छुटकारा पाना है तो ज्ञान की ज्योति को जगाना होगा। ज्ञान प्राप्त करने का माध्यम हे परिक्षा, मिथ्यात्व को दूर करना होगा व समयकत्व की और विद्या अर्जन करने के लिए प्रमाद को दूर करना होगा। जैन कांफ्रेंस महिला शाखा की राष्ट्रीय अध्यक्ष कमला मेहता ने कहा कि ज्ञान प्राप्त करने का माध्यम हैं परिक्षा। ज्ञान को हम बार-बार दोहराते नही हैं इसलिए हमे याद नही रहता ज्ञान को सदैव बनाए रखने के लिए उसके भीतर तक उतरना तथा दोहराना जरूरी हे, जितना हम ज्ञान को पक्का करेगे उतना ही हम साथ लेकर जायेगे। उन्होने महिलाओं के जैन धार्मिक शिक्षा बोर्ड मे बढते रूझान को दर्शाते हुए पुरूष वर्ग से भी अनुरोध किया कि पुरूष भी ज्यादा से ज्यादा संख्या मे जैन धार्मिक शिक्षा बोर्ड मे दाखिला ले और अपने आत्मज्ञान को बढाये।
जैन धार्मिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष भंवर सेठ ने स्वागत उद्बोधन के पश्चात जैन धार्मिक शिक्षा बोर्ड के बारे मे जानकारी देते हुए बताया कि महासाध्वी दिव्य प्रभा जी म.सा. की प्रेरणा से इस बोर्ड को शुरू किया गया हैं जिसमे आज के समारोह मे प्रथम कक्षा से लेकर 14वीं कक्षा तक अच्छे अंकों से उत्तीर्ण होने वाली 63 महिलाओं को पुरस्कृत किया गया एवं प्रशस्ति-पत्र दिए गए।
महासति निरूपमा ने श्रावक-श्राविकाओं को पैंसठिया यंत्र का जाप करवाया। सौम्या व भव्या द्वारा ईश वन्दना एवं आशा कोठारी, पुष्पा मोदी द्वारा भजन की प्रस्तुति दी गई। दौरान ही जैन धार्मिक शिक्षा बोर्ड के शिक्षक सागरमल सर्राफ, शान्तिलाल चव्हाण एवं समाज मे उल्लेखनीय सेवाओं के लिए नाथुलाल सेठ व सज्जनदास मेहता को भी सम्मानित किया गया। संचालन भंवर सेठ ने किया। धन्यवाद के. एल. कुम्भट ने दिया।