फार्मेसी में ’दो दिवसीय नेशनल सेमीनार का आगाज
उदयपुर। पर्यावरण के बारे में बात करते हुए वर्मा ने कहा कि अरावली के मुकाबले हिमालय अभी बिल्कुल नवजात पर्वत श्रृंखला है। अतः मनुष्य को बडे-बड़े प्रोजेक्टों का भार हिमालय पर नहीं डालने से प्रकृति हमें बचा पाएगी एवं उन्होंने प्राकृतिक रूप से जीवन उपयोगी नई दवाओं की खोज का भी आह्वान किया।
ये विचार प्रसिद्ध पर्यावरणविद् एवं भारतीय वन सेवा के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी एस. के. वर्मा ने अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद्, नई दिल्ली एवं भूपाल नोबल्स इन्स्टीट्यूट ऑफ फार्मास्यूटिक्ल साइंसेज के तत्वावधान में रिसेन्ट एडवांसेज इन फार्मास्यूटिकल एज्यूकेशन एण्ड रिसर्च विषयक सेमीनार में मुख्यत अतिथि के रूप में व्यवक्त् किए। उन्हों्ने कहा कि विश्व के अग्रणी देशों में आध्यात्मिकता मेटाफिजिक्स के रूप में स्थापित हो रही है।
विशिष्टो अतिथि सीटीएई के प्रो. एस. एन. माथुर ने प्रतिभागियों से अपने ज्ञान एवं नवीन खोजों के माध्यम से उद्यमी बनने का आव्हान् किया। उन्होंने सरकार द्वारा संचालित की जा रही विभिन्न योजनाओं का लाभ उठाकर अधिक से अधिक वैज्ञानिक खोजों को जन उपयोगी बनाने को कहा। उद्घाटन भाषण में संस्थान के प्रबन्ध निदेशक डॉ. निरंजन नारायण सिंह राठौड़ ने सभी प्रतिभागियों से नयी विद्याओं द्वारा फार्मा रिसर्च में नयी ऊंचाईयां छूने का आह्वान किया। बीएन फार्मेसी महाविद्यालय के प्रो. एम. एस. राणावत ने बताया कि इस वर्ष संस्थान की फार्मेसी इकाईयों ने उत्कृष्ट कार्य करते हुए लगभग 55 लाख रुपये का अनुदान प्राप्त किया तथा 50 से अधिक शोधार्थी विभिन्न विषयों पर शोध कार्य कर रहे हैं। सहसंयोजक डॉ. मीनाक्षी भरकतिया ने सेमीनार में होने वाले क्रियाकलापों की रूपरेखा प्रस्तुत की। सहसंयोजक डॉ. कमलसिंह राठौड़ ने अतिथियों का धन्यवाद दिया। दूसरे सत्र में वैज्ञानिक पोस्टर प्रतियोगिता हुई जिसमें देशभर के लगभग 150 प्रतिभागियों ने अपने शोधों को पोस्टर के माध्यम से प्रस्तुत किया।